
सेंट्रल डेस्कः एनआरसी को लेकर केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का बड़ा बयान सामने आया है। एनआरसी के मुद्दें पर उन्होंने कहा है कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है, विरोध करने वाले लोगों को बताना चाहिए कि क्यों नहीं होनी चाहिए एनआरसी। सोमवार को इंडिया टीवी के दिनभर चले कॉन्क्लेव ‘जय हिंद’ में प्रसाद ने कहा, ‘जो लोग इस विधेयक के अंतर्गत नहीं आते हैं वे शरण के लिए अन्य देशों में जा सकते हैं।’ 2016 में रखा गया यह प्रस्ताव पारित होने के लिए आने से पहले राज्य सभा की सेलेक्ट कमिटी के सामने है। एनडीए की सहयोगी असम गण परिषद ने पहले ही धमकी दी है कि यदि संशोधित बिल पास हुआ तो वह गठबंधन से बाहर आ जाएगी।कानून मंत्री ने कहा, ‘यदि हिंदुओं और सिखों पर दुनिया में कहीं भी अत्याचार होगा तो वे सबसे पहले भारत आएंगे। दूसरे लोगों के लिए दुनिया में कई स्थान (देश) हैं। मैं कोई सांप्रदायिक टिप्पणी नहीं कर रहा। भारत जितना हिंदुओं का है, उतना ही मुसलमानों का भी है। लेकिन यदि कोई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद छत्ब् के तहत अवैध घुसपैठियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का विरोध करता है, तब इसका अर्थ यह निकलता है कि इस पर सियासत हो रही है। एनआरसी का मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है। इसे जनता को तय करने दीजिए।’प्रसाद ने कहा, ‘मैं पूछना चाहता हूं कि देश के नागरिकों का रजिस्टर क्यों नहीं होना चाहिए। क्या भारत कोई धर्मशाला है ? ये तो नहीं होना चाहिए।’ यह पूछे जाने पर कि नागरिकता संशोधन बिल के मामले में आगे क्या होगा, प्रसाद ने कहा, ‘यह मामला अभी संसदीय समिति के सामने है, वह इस पर विचार कर रही है, लेकिन कृपया इसे एनआरसी के मुद्दे से मत जोड़िए।’तीन तलाक विधेयक के मसले पर केंद्रीय मंत्री ने खुलासा किया कि इसे पटल पर रखने से पहले सरकार ने गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को विश्वास में लिया था। उन्होंने कहा, ‘पहले 5 दिनों तक तो कांग्रेस के नेता इस विधेयक के मसले पर टाल-मटोल करते रहे, और आखिरी दिन इसे सदन में पटल पर रखा जाना था।’
