
बिहार ब्रेकिंग-रजनीश सिंह-मधेपुरा

जन नायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कालेज अस्पताल का अचानक निरिक्षण के लिए पहुंची एमसीआई की टीम ने सूबे के स्वास्थ्य महकमे की पोल खोल कर रख दी। अस्पताल के अधीक्षक ने कहा एमसीआई के मानदंडों को पूरा नहीं करता निर्माणाधीन मधेपुरा मेडिकल कालेज का अस्पताल। ऐसे में सवाल उठता है आखिर क्यों बिना जांचे परखे बुलायी जाती है एमसीआई की टीम, वो भी स्थानीय मेडिकल कालेज के खर्चे पर।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2010 में मधेपुरा में मेडिकल कालेज के निर्माण की घोषणा किया था। करीब 4 साल बाद 27 अगस्त 2014 को इस मेडिकल कालेज का निर्माण कार्य शुरू हुआ। दो वर्षों के भीतर नवम्बर 2016 में लगभग 800 करोड़ की लागत इस मेडिकल कालेज को बन कर तैयार होना था, लेकिन घोषणा के 8 साल और निर्माण कार्य शुरू होने के लगभग 5 साल बाद भी मेडिकल कालेज का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है। पर 2010 से अब तक हर वर्ष दो बार लाखों फ़ीस जमा कर एमसीआई की टीम से निरिक्षण जरुर कराया जाता है, लेकिन हर बार एमसीआई कालेज को मान्यता नहीं देती है। इसबार भी भले ही मेडिकल कालेज का बिल्डिंग अधिकांश बन गया है लेकिन अब भी काफी काम बांकी है। मेडिकल कालेज अस्पताल के लिए घोषित सदर अस्पताल मधेपुरा भी कोई खास सुविधा संपन्न नहीं है। अस्पताल के अधीक्षक खुद स्वीकारते हैं कि वे एमसीआई के मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं।
सुबह 10 बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक एमसीआई की टीम ने अधूरे मेडिकल कालेज और अस्पताल का निरिक्षण किया, वे इसकी दशा से खुश नहीं दिखी। लेट-लतीफ़ शिक्षक और कर्मियों को भी खूब कोशा। टीम की सख्ती से मेडिकल कालेज के प्राचार्य भी काफी तनाव में दिखे। टीम के जाने के बाद जब पत्रकारों ने प्राचार्य से बात करना चाहा तो वे पत्रकारों को देखते वे अपना मानो आपा खो दिया और कहा कि ‘वे स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता नहीं है। इतना ही नहीं पत्रकारों को अपने कक्ष से बाहर निकलने को कह दिया और धमकी भी दे डाली, मेरा घर भी यहीं है।’