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राहुल जी ने भोजपुरी भाषा के विकास, सामाजिक परिवर्तन एवं समतावादी समाज के लिए सदैव संघर्ष किया- प्रो. वीरेन्द्र नारायण यादव
विश्वप्रसिद्ध दार्शनिक, चिन्तक, इतिहासवेत्ता, महान यायावर, स्वतंत्रता सेनानी, किसान नेता, साम्यवादी विचारक, महापंडित राहुलसांकृत्यायन जी की 126 वीं जयन्ती, मंगलवार को को राम जयपाल महाविद्यालय, छपरा परिसर स्थित नवनिर्मित सभागार में आयोजित की गई। प्रारंभ में राहुल जी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया।इस अवसर पर राहुल जी के बहुआयामी व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए, विधान पार्षद प्रोफेसर डॉ वीरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि राहुल जी के प्रति श्रद्धा निवेदित करना बिहार खासकर सारण के लोगों का आज सबसे अहम कर्तव्य बनता है क्योंकि राहुल जी ने सारण को ही अपनी कर्मभूमि बनाया था। परसागढ़ से अपनी जीवन यात्रा शुरू कर उन्होंने छपरा, सिवान एवं गोपालगंज के विभिन्न क्षेत्रों में किसानों एवं मजदूरों को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संगठित किया। इसके साथ ही उन्होंने भोजपुरी भाषा के विकास, सामाजिक परिवर्तन एवं समतावादी समाज के लिए सदैव संघर्ष किया और जेल यातनाएं भी सही।
इस अवसर पर विषय परिवर्तन करते हुए प्रोफेसर (डॉ) लाल बाबू यादव ने कहा कि राहुल जी के विशाल रचना संसार की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है क्योंकि उन्होंने 150 से ज्यादा पुस्तकों की रचना की। आज आवश्यकता इस बात की है कि राहुल जी के विचारों से नई पीढ़ी को अवगत कराया जाए। इसके इसके लिए सभा, सम्मेलनों एवं संगोष्ठीयों का आयोजन किया जाना चाहिए।
संगोष्ठी को आगे बढ़ाते हुए डब्ल्यूजेएआई के राष्ट्रीय महासचिव अमित रंजन ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन का पूरा व्यक्तित्व और समूचा जीवन यायावरी ही है, इन्होंने न सिर्फ पूरे जीवन भर स्थानों की घुमक्कड़ी की बल्कि सिद्धांत और विचारों के स्तर भी यायावरी रहे। राहुल विचारों के स्तर पर वेदान्त, आर्य समाज, बौद्ध, साम्यवाद आदि की पूरी यात्रा कर लेते हैं। दाम्पत्य जीवन के स्तर पर भी तीन शादियां शायद यही कहती हैं। डॉ हरिओम प्रसाद ने राहुल जी के जीवन से संबंधित अनेक अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला तथा उन्हें आधुनिक समाज का सबसे बड़ा परिवर्तनकारी चिंतक बताया। समारोह के संयोजक विद्यासागर विद्यार्थी ने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए यह विचार प्रकट किया कि प्रतिवर्ष राहुल जी के साथ हीं जिले के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों तथा महापुरुषों की भी जयंतिया मनाई जानी चाहिए।
संगोष्ठी में नागेंद्र प्रसाद राय, राजेंद्र राय, अवधेश प्रसाद, प्राचार्य अरुण कुमार, संजय कुमार पाठक, देवेंद्र प्रसाद, मोहम्मद शमसुद्दीन खान, पवन कुमार, सुनील कुमार सहित एक दर्जन वक्ताओं ने महापंडित राहुल सांकृत्यायन जी के प्रति अपनी अभिव्यक्तियाँ दी। समारोह की अध्यक्षता प्रो. (डॉ) जयराम सिंह ने की धन्यवाद ज्ञापन अनिल कुमार ने किया।