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लोकसभा चुनाव 2019 का पहला चरण का मतदान 11 अप्रैल को होना है। चुनाव को लेकर पूरे देश मे सियासी पारा गर्म है। सभी पार्टी और नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने में लगे हैं या फिर जाति आधारित वोट मांग रहे हैं या फिर मतदाताओं को लुभाने में लगे हैं वहीं एक ऐसा भी नेता है जो मतदाताओं को न तो लुभाने की कोशिश कर रहा और न ही मतदाताओं से जाति आधारित मतदान करने की मांग कर रहा। यह नेता अपने काम का मजदूरी मांग रहा है। जी हां, यह नेता है तेरह वर्षों से बिहार का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। नीतीश कुमार जहां भी चुनावी सभा करने जाते हैं वहाँ अपने सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहता है कि मैं आपसे वोट मांगने नहीं अपने तरह वर्षों के सेवा का मजदूरी मांगने आया हूँ। विदित हो कि करीब पंद्रह वर्षों तक राजद के शासन के बाद एनडीए गठबंधन को बिहार में बहुमत मिला और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने।
मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश ने विकास का वादा किया गया वादा निभाना शुरू किया और सबसे पहले उन्होंने राज्य की सड़कों को तंदुरुस्त करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने सडकों के साथ साथ शिक्षा अन्य चीजों में भी विकास करना शुरू कर दिया और बिहार की सूरत बदल दी। नीतीश कुमार की सरकार बनने के बाद राज्य की स्थिति में काफी बदलाव आया। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री के चेहरे में नरेंद्र मोदी का भरपूर विरोध किया और मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया और जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया। इतना ही नहीं नीतीश कुमार एनडीए गठबंधन से अलग भी हुए और राजद के साथ हाथ मिला कर बिहार में एक बार फिर सरकार बनाया। लेकिन यह सरकार टिक नहीं सकी और एक बार फिर नीतीश कुमार ने अपना इस्तीफ़ा दे कर सरकार गिरा दिया और फिर एनडीए गठबंधन से हाथ मिलाकर दुबारा सरकार बनाया।
इसबार भी एनडीए गठबंधन का चेहरा नीतीश कुमार चुने गए। इस बीच नीतीश कुमार ने एक बड़ा फैसला भी लिया और राज्य की महिलाओं से किया वादा निभाते हुए राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दिया। जिससे नीतीश कुमार ने देशभर में खूब सुर्खियां भी बटोरीं। अब लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार एकबार फिर से उसी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की मांग करते हुए लोगों से अपनी मजदूरी के रूप में वोट मांग रहे हैं जिसका कभी उन्होंने विरोध किया और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा भी दे दिया था। बाकी अब यह देखने की बात है कि बिहार की जनता नीतीश कुमार के कामों से कितना खुश है और उन्हें मजदूरी देती है या इनाम।