
बिहार ब्रेकिंग

एनडीए आज बिहार के सभी 40 सीटों पर नाम की घोषणा कर सकती है। नाम के घोषणा के बाद जहां स्थिति साफ होंगी वहीं उससे पहले अटकलों का बाजार गर्म है। इसी कड़ी में बांका लोकसभा सीट पर भाजपा के तरफ से टिकट की दावेदारी पुतुल सिंह पेश कर रही थी लेकिन सीट जदयू के हिस्से चले जाने के वजह से उन्होंने निर्दलीय अपना पर्चा दाखिल कर दिया। वहीं बांका सीट से जदयू में भी आलाकमान को टिकट के लिए उम्मीदवार के चयन में खासा मशक्कत करनी पड़ेगी। जदयू से भी बांका सीट पर टिकट के तीन तीन दावेदार गिरधारी यादव, दामोदर राउत और कौशल सिंह का नाम आगे आ रहा है। हालांकि जदयू के पाले में सीट जाने के बाद एनडीए दो खेमे में बंट गया और पुतुल सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने के कारण एनडीए वोट का बिखराव लगभग तय है।
वहीं बिहार ब्रेकिंग के सूत्रों के अनुसार पुतुल देवी जदयू से कौशल सिंह की उम्मीदवारी तय होने के बाद अपनी उम्मीदवारी वापस ले सकती हैं और एनडीए की जीत को सुनिश्चित करने में कौशल सिंह की मदद कर सकती हैं। बांका सीट से एनडीए की जीत के लिए अभी सबसे प्रबल दावेदार के रूप में कौशल सिंह नजर आ रहे हैं जिन्हें एनडीए के वागी नेता पुतुल सिंह का समर्थन तो प्राप्त हो ही सकता है साथ ही साथ कौशल सिंह राजनीति के अलावे हमेशा से समाजसेवा के कामों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते रहे हैं जिससे उनकी पकड़ क्षेत्र के राजपूत, दलित और मुस्लिम वोटों पर बहुत ही अच्छी है। बतौर स्थानीय लोग, कौशल सिंह हमेशा क्षेत्र में समाजसेवा और विकास के कामों में हमेशा लगे रहे हैं, वे अक्सर क्षेत्र में गरीब लड़कियों की शादी में मदद करते रहे हैं साथ ही साथ सामूहिक विवाह का आयोजन कर दर्जनों गरीब कन्याओं का विवाह करवाते रहते हैं। इसके साथ ही कौशल सिंह अन्य रूप से मजबूर लोगों की भी मदद करते रहे हैं। बतौर स्थानीय लोग अगर एनडीए से कौशल सिंह प्रत्याशी बनाये जाते हैं तो एनडीए एकतरफा लीड करेगी औऱ कौशल सिंह को जनता का समर्थन प्राप्त होगा।
हालांकि यह फैसला जदयू आलाकमान को लेना है कि उम्मीदवार कौन होंगे और चंद ही घण्टे में इसकी घोषणा भी की जाएगी। स्थानीय जानकार का कहना है कि संभावना है कि महागठबंधन से भी इस सीट पर राजद अपने उम्मीदवार को मैदान में उतार सकती है। इस परिस्थिति में दामोदर राउत या गिरधारी यादव के उम्मीदवार बनाये जाने से वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है। महागठबंधन के मूड को देखते हुए एनडीए के तरफ से राजपूत उम्मीदवार घाटे का सौदा तो बिल्कुल नजर नहीं आ रहा।