
बिहार ब्रेकिंग-रविशंकर शर्मा-बाढ़

‘जाको राखे साईंयां मार सके न कोय’ कहावत चरितार्थ उस समय हुुुआ जब एक नवजात को रेत के नीचे दफना देने के बावजूद वह बच गया। मामला बाढ़ के मलाही गंगा घाट का है, जब मलाही निवासी अरविंद स्नान करने जा रहे थे उसी वक़्त रेत से किसी नवजात की दम घोंटू चीख ने उनका ध्यान आकृष्ट किया। अरविंद ने आवाज की तरफ नजर दौड़ाई तो एक नवजात का पाँव दिखा। अरविंद को मानो ईश्वर ने उसे बचाने भेज दिया था। उन्होंने तुरन्त रेत खोदकर नवजात को बाहर निकाला, तो देखा एक फूल सी बच्ची जीवन मृत्यु से संघर्ष कर रही थी। उन्होंने उसे गोद मे उठाया और दौड़े चिकित्सक के पास जहाँ तत्काल उसे ऑक्सीजन दी गई और ईलाज किया गया जिससे बच्ची की जान बच गई।
सवाल यह उठता है कि जिस कलयुगी माता पिता ने ऐसे घृणित संवेदनहीन पाप किये उनका हृदय क्या पाषाण का था? अथवा अगर बच्ची नाजायज थी तब भी क्या उसकी ऐसी निर्दयतापूर्वक हत्या का प्रयास जायज था? बिल्कुल नही। नतीजा यही है कि अगर ये बच्ची नाजायज थी तो पश्चमी सभ्यता की गंदी देन है जिससे हमें हमारे पीढ़ियों की रक्षा करनी होगी, और अगर जायज है तो भी लड़के लड़कियों में ऐसे भेदभाव आखिर कबतक?