
–न्यासधर्म और सह्कारिता को बढ़ावा दिया जाए: प्रो. हरिकेश

-351बुनियादी स्कूलों को पुनर्जीवित किया जाए: प्रो. सिंह
पटना। बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री राणा रणधीर ने कहा है कि गांधी जी की सहकारिता, सहभागिता एवं अनुभवजन्य अधिगम को स्कूली एवं अध्यापक शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए । तभी बिहार में बुनियादी शिक्षा की नींव मजबूत होगी। मंत्री आज ए एन सिंहा सामाजिक अध्ययन संस्थान सभागार में आयोजित सात दिवसीय आवासीय फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला का विषय है-“नई तालीम: एक्सपेरिएन्शियल लर्निंग,वर्क एजुकेशन एंड कम्यूनिटी एंगेजमेंट इन टीचर एजुकेशन करिकुलम”। कार्यशाला का आयोजन पटना यूनिवर्सिटी के स्नाकोत्तर शिक्षा विभाग एवं महात्मा गांधी नेशनल काऊंसिल ऑफ़ रूरल एजुकेशन (हैदराबाद) ने संयुक्त रुप से किया था। उद्घाटन सत्र की शुरुआत पटना यूनिवर्सिटी के कुलगीत गायन से हुआ। मंत्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का उद्घाटन किया। पटना यूनिवर्सिटी के स्नाकोत्तर शिक्षा विभागाध्यक्ष प्रो. खगेंद्र कुमार ने कार्यशाला का विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि आगामी सात दिनों में प्रतिभागियों को ग्रामीण इलाके का भ्रमण, कार्य आधारित अधिगम एवं अनुभवजन्य अधिगम आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा ।
ट्रस्टशिप एवं सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देना होगा: प्रो. हरिकेश
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता एवं जे पी यूनिवर्सिटी छपरा के कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह ने कहा कि अंगरेजी की बजाय बच्चों को मातृ भाषा में शिक्षा दी जानी चाहिए जिसमें मन, हृदय और हाथ का संयोजन शामिल हो ताकि हस्तकला आधारित शिक्षा को बढ़ावा मिले। यह सहभागिता, सहकारिता और न्यास धर्म को आत्मसात करने से ही संभव होगा। इस लिए इन्हे बीएड के साथ-साथ स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए ।
बिहार के 391बुनियादी स्कूलों को पुनर्जीवित किया जाए: प्रो. सिंह
पटना यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. रास बिहारी प्रसाद सिंह ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि शहरीकरण के दौड़ में आज ग्रामीण शिक्षा विलुप्त होती जा रही है। स्कूल एवं कॉलेजों में सामुदायिक सहभागिता एवं अधिगम का अभाव है। इन कमियों को दूर करने के लिये बिहार के मृतप्राय 391 बुनियादी विद्यालयों को पुनर्जीवित करना होगा तभी हम स्वाभिमानी एवं योग्य नागरिक पैदा कर सकेंगे। इससे स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
कार्यशाला को प्रो. खगेंद्र कुमार, डा. सुधाकर प्रसाद सिंह, डा. जैसी एस मोदी, डा. कुमार संजीव, डा. विनय सोरेन, डा. राधाकान्त प्रसाद, डा. देबेन्द्र नाथ दास, डा. राज किशोर प्रसाद आदि ने संबोधित किया। मंच का संचालन प्रीती तिवारी ने किया।