
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 53वीं बार ‘मन की बात’ की. इस साल ‘मन की बात’ का यह दूसरा और पुलवामा हमले के बाद पहला संस्करण है. मन की बात की शुरुआते करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने पुलवामा की घटना का जिक्र किया और बोले- भारत माता ने अपने वीर सपूतों को खो दिया. इन पराक्रमी वीरों ने हमारी सुरक्षा में खुद को खपा दिया. पुलवामा के आतंकी हमले में वीर जवानों की शहादत के बाद देशभर में लोगों के मन में आघात और आक्रोश है. शहीदों और उनके परिवारों के प्रति लोगों के मन में संवेदना है. भारत माता की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले इन सपूतों को मैं नमन करता हूं. यह बलिदान हमारे संकल्प को और मजबूत करेगी. हमारे सशस्त्र बल हमेशा ही पराक्रम का परिचय देते आए हैं. उन्होंने कहा- हमलावरों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया गया है. हमले के 100 घंटे के भीतर ही जवानों ने बदला ले लिया. बिहार के भागलपुर के शहीद रतन ठाकुर के पिता निरंजन जी ने जिस जज्बे का परिचय दिया है, वो काबिलेतारीफ है. उड़ीसा के मीना जी के अदम्य साहस को पूरा देश सलाम कर रहा है. ऐसी ही भावनाएं हमारे वीर शहीदों के घर में देखने को मिल रही है, चाहे वो देवरिया के शहीद हों या कोटा के शहीद, शहीदों के हर परिवार की कहानी प्रेरणा से भरी हुई है. इन परिवारों ने जो भावना दिखाई है, उसे जाने समझने का प्रयास करें. हमारी आंखों के सामने ये जीते जागते उदारहण हैं. आजादी के इतने साल बाद जिस वार मेमोरियल का इंतजार था, वह अब खत्म होने जा रही है. भारत में कोई नेशनल वॉर मेमोरियल नहीं था, जहां वीर जवानों के शौर्य गाथा को संजोकर रखा जा सके. हमने नेशनल वॉर मेमोरियल के निर्माण का निर्णय लिया और खुशी है कि वह तैयार हो चुका है. 25 फरवरी को इस राष्ट्रीय स्मारक को सेना को सौंपा जाएगा. दिल्ली के दिल और इंडिया गेट के पास एक नया स्मारक बनाया गया है. वहां जाना किसी तीर्थस्थल जाने के जैसा होगा. स्मारक का डिजाइन हमारे वीर सपूतों को प्रदर्शित करता है. एक सैनिक के जन्म से लेकर शहादत तक का जिक्र है. यह एक ऐसी गैलरी है, जहां दीवारों पर सैनिकों की बहादुरी को प्रदर्शित किया गया है. इसमें देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों के नाम दिए गए हैं. इसमें उन बलिदानियों की कहानी है, जिनके बदौलत हम सुरक्षित हैं. पिछले साल अक्टूबर में नेशनल पुलिस मेमोरियल को देश को समर्पित करने का मौका मिला था. हम मानते हैं कि देश को ऐसे वीरों की के लिए कृतज्ञ होना चाहिए. आप जब भी वॉर मेमोरियल जाएं, तो सोशल मीडिया पर इसे जरूर शेयर करें.अंग्रेजों ने बिरसा मुंडा को उस वक्त पकड़ा था, जब वो सो रहे थे. क्योंकि अंग्रेज उनसे डरते थे. वे अपने तीर कमान से ही अंग्रेजी शासन को हिलाकर रख देते थे. भगवान बिरसा मुंडा ने न केवल आजादी की लड़ाई लड़ी, बल्कि वंचितों और शोषितों के जीवन में सूरज की तरह चमक बिखेरी. 25 साल की अल्पायु में ही उन्होंने अपना बलिदान दे दिया. शायद ही देश का कोई ऐसा कोना होगा, जहां के लोगों ने अपना बलिदान न दिया हो. जमशेद जी टाटा ने न केवल भारत के भविष्य को देखा, बल्कि देश की नींव भी रखी. यह उनका ही विजन था कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की स्थापना हुई. जमेशद जी टाटा और स्वामी विवेकानंद की मुलाकात एक शिप में हुई थी. इसी मुलाकात में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस की नींव पड़ी. मोरारजी देसाई के बहाने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- आपातकाल लागू कर जिस तरह लोकतंत्र की हत्या की गई थी, वैसा दोबारा नहीं हो सकेगा. इस दौरान उन्होंने 44वें संशोधन का भी जिक्र किया. पद्म पुरस्कार की बात करते हुए उन्होंने कहा- जो जनसेवा, समाजसेवा और राष्ट्रसेवा में निस्वार्थ जुटे रहते हैं उनके लिए मैंने पुरस्कार देना जरूरी समझा. ये चकाचौंध की दुनिया से दूर हैं लेकिन जमीनी स्तर पर काम करने में विश्वास करते हैं. ओडिशा के दैतारी नायक ने अपने गांव में अपने हाथों से पहाड़ काटकर तीन किलोमीटर पहाड़ काटकर नहर बना दिया. गुजरात के अब्दुल गफूर की कलाकृति को मैंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति को भेंट किया था. मदुरै चिन्नापिल्ले आंदोलन के जरिए पीड़ितों और शोषितों को सशक्त करने का प्रयास किया. अमेरिका के काओ पिंचो लिंच योग की जीती जागती संस्था बन चुकी हैं. गुजरात के मुक्ता बेन पंकज की कहानी सुनिए. खुद दिव्यांग होते हुए उन्होंने दिव्यांगों के लिए काम किया. बिहार के मुजफ्फरपुर की किसान चाची ने अपने इलाके की अधिकांश महिलाओं को स्वावलंबी बनाया. उन्होंने खेती के साथ तकनीक को जोड़ने का काम किया. इस बार 12 किसानों को पद्म पुरस्कार दिए गए. यह बदलते हिन्दुस्तान की जीती जागती तस्वीर है. आयुष्मान भारत योजना से करीब 12 लाख लोग लाभान्वित हो चुके हैं. आप लोगों को इस योजना के बारे में बताइए. अभी परीक्षा का दौर चल रहा है. दिल्ली में परीक्षा पे चर्चा में देश विदेश के करोड़ों छात्र, टीचर और अभिभावकों से बात करने का मौका मिला. उस दौरान कई पहलू सामने आए, जिनसे छात्र लाभान्वित हो सकते हैं. परीक्षा के लिए एग्जाम वारियर्स को ढेरों शुभकामनाएं. कुछ दिन बाद महाशिवरात्रि का पर्व आने वाला है. इस बार सोमवार को महाशिवरात्रि है. इस पावन पर्व पर आपको शुभकामनाएं. कुछ दिन पहले मैं काशी गया था, जहां मैं कई दिव्यांगों से मिला. बातचीत के दौरान एक दिव्यांग ने कहा- मैं मिमिक्री करता हूं. उसने जिस तरह मन की बात को लेकर मेरी मिमिक्री की. मैं उस दिव्यांग की शक्ति से बहुत प्रभावित हुआ. मन की बात कार्यक्रम से जुड़ना अनोखा अनुभव रहा है. कई बार तो ऐसा प्रतीत होता है कि आपने मुझे अपने परिवार का हिस्सा मान लिया है. अगले दो महीने हम सभी चुनाव की गहमागहमी में व्यस्त होंगे. मैं स्वयं चुनाव में प्रत्याशी रहूंगा. अगली मन की बात मई महीने में होगी. मैं चुनाव के बाद एक नए विश्वास के बाद मन की बात फिर से करता रहूंगा.
