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जम्मू कश्मीर के पुलवामा में शहीद हुए जवानों के लिए देश भर में ऑंखें नम हैं। कोई पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात कर रहा है तो कोई आतंकियों के खिलाफ वैसा ही हमला करने की बात कह रहा है। देश के शहीद जवानों के प्रति कई लोगों ने अपनी संवेदनाएं भी प्रकट की। इसी कड़ी में जेल अधीक्षक निरंजन कुमार पंडित की ये पंक्तियाँ सबके दिलों को छू रही हैं आप भी पढ़ें-

पता है बारूदी प्रचंड को,
हड्डी गलाती ठंड को,
तूने हंसते हंसते झेला था,
तू वीर बहादुर अलबेला था।
तू दूर गया, दिल तोड़ गया,
पर महफूज वतन ये छोड़ गया,
ऋणी हूं एहसान का, बलिदान का,
जिसमें खून की होली खेला था,
तू वीर बहादुर अलबेला था।
तू जहां भी अब आराम करेगा,
हिंदुस्तान सलाम करेगा,
उमंग हो, सरफरोशी का रंग हो,
जहां जवानों का मेला था,
तू वीर बहादुर अलबेला था।