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पीरपैंती प्रखंड कार्यालय द्वारा लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत दी जाने वाली सहायता राशि भुगतान में गड़बड़ी करने के आरोप में पीरपैंती प्रखंड विकास पदाधिकारी सुनील कुमार ने कुल 10 लोगो पर पीरपैंती थाना में एफआईआर दर्ज करवाया है । बताते चलें कि इस सन्दर्भ में प्रमंडलीय आयुक्त राजेश कुमार ने स्वयं पीरपैंती प्रखंड मुख्यालय पहुंच कर जांच की थी। इसके पूर्व कहलगांव डीसीएलआर ने भी अपनी जांच प्रतिवेदन में पीरपैंती के बीडीओ तथा सम्बंधित ऑपरेटर की भूमिका को संदिग्ध बताया था ।
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एफआईआर में नामजद कुल 10 लोगों में ब्यूटी रानी तथा संजय कुमार मंडल वे व्यक्ति हैं जिनके खाते में सरकारी राशि ट्रांसफर की गई थी। ब्यूटी रानी के खाते में कुल 1 लाख 50 हजार रुपए तथा संजय कुमार मंडल के खाते में अड़तालीस हजार रुपए ट्रांसफर किए गए हैं। अन्य नामजद आरोपियों में विवेकानन्द पासवान, काजिम हासमी, सुधाकांत कुमार राय, आशुतोष कुमार, राकेश कुमार मंडल, विजय कुमार, कादिर आलम हैं। इसी बीच कुछ आरोपियों ने खुद को बेगुनाह बताते हुए कहा कि उन्हें बली का बकरा बनाया गया है। खैर जो भी जांच के बाद सच्चाई सामने होगी इसकी उम्मीद है पर जिले के आलाधिकारियों, को इस संदर्भ में हो रही जांच पर निगरानी रखनी होगी, अन्यथा खेत खाए गधा मार खाए जोलहा वाली कहावत चरितार्थ हो जाएगी क्योंकि इस पूरे प्रकरण पर अगर नजर डाली जाए तो कई बड़े सवाल सामने खड़े हो जाते हैं। वो ये की लगातार गलत खातों में सरकारी राशि ट्रांसफर होती रही और प्रखंड विकास पदाधिकारी चुप्पी साधे रहे? प्रखंड विकास पदाधिकारी को इस मामले की जानकारी पहले से थी लेकिन वो मामले में वरीय अधिकारियों के हस्तक्षेप का इंतजार करते रहे, आखिर क्यों ? बता दें कि प्रखंड विकास पदाधिकारी को 25 नवंबर 2018 को इस मामले की जानकारी हो गई थी, तब उन्होंने बैंकों को पत्र भेजकर लाबुको के खातों को होल्ड भी करवा दिया था लेकिन सख्त एक्शन नही लेने के कारण खेल जारी रहा। होल्ड होने बाद भी उस खाते में रुपए ट्रांसफर हुए ..आखिर ऐसा कैसे सम्भव है? यह गम्भीर जांच का विषय है।
बता दें कि हमने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था जिसके बाद भगलपुर कर प्रमंडलीय आयुक्त राजेष कुमार ने तुरंत एक्शन लैया था। खुद मामले की जांच करने प्रखंड मुख्यालय पहुंचे थे और यह आश्वासन दिया था कि दोषियों पर कार्रवाई होगी। आज जो यह एफआईआर हुई है, निश्चित रूप से प्रमंडलीय आयुक्त की सकारात्मक पहल का नतीजा है।