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स्वतंत्रता सेनानी शील भद्र याजी की 23वीं पुण्यतिथि समारोह सोमवार को बाढ़ में मनाया गया। समारोह में स्व याजी के तैलचित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई। पुण्यतिथि समारोह के दौरान स्व याजी एवं स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान पर चर्चा किया गया। पुण्यतिथि समारोह में मौजूद वक्ताओं ने कहा कि शील भद्र याजी बिहार के एक कार्यकर्ता थे जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अहिंसक और हिंसक रूप से जुड़े थे। स्वतंत्रता आंदोलन में याजी की भागीदारी 1928 में शुरू हुई। जब वह एक छात्र के रूप में थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में भाग लिया। वह चार साल बाद कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गए और किसान आंदोलन में शामिल हो गए। बाद में वह सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी के संपर्क में आए। 1939 में उन्होंने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक को खोजने के लिए बोस को शामिल किया। वह आईएनए आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़े थे। याजी ने जातिगत पूर्वाग्रहों और अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई। वह समाज के परिवर्तन के लिए संघर्ष में किसानों, श्रमिकों और मध्यम वर्गों की सक्रिय भागीदारी में दृढ़ विश्वास करते थे। वह 27 अप्रैल 1957 से 2 अप्रैल 1958, 3 अप्रैल 1958 से 2 अप्रैल 1964, और 3 अप्रैल 1966 से 2 अप्रैल 1972 तक राज्य सभा के सदस्य रहे।
याजी ने कई किताबों जैसे कि ए ग्लांस ऑफ द इंडियन लेबर मूवमेंट, फॉरवर्ड ब्लॉक एंड इट्स स्टैंड, इज़ सोशलिज्म ए नाउन्डिटी टू इंडिया, एंड ट्रू फेस ऑफ़ मोनोपॉलिस्टिक अमेरिकन डेमोक्रेसी जैसी कई किताबें लिखीं। पुण्यतिथि समारोह के दौरान बख्तियारपुर विधान सभा विधायक रणविजय कुमार सिंह, अच्युतानन्द याजी, बख्तियारपुर नगर परिषद के अध्यक्ष शषि देवी, स्वतंत्रता सेनानी बच्चन बाबू, रामानन्द सिंह, सागर प्र सिंह, शैलेन्द्र कुमार, जनार्दन शर्मा समेत सैकड़ो स्वतंत्रता सेनानी एवं स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारियों ने स्वर्गीय याजी के समाधी पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया।