
भभुआ: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि कैमूर के करकटगढ़ को मगरमच्छ संरक्षण केंद्र व इको टूरिज्म बनाया जाएगा। चैनपुर प्रखंड के करकटगढ़ में मंगलवार को पहुंचे मुख्यमंत्री ने जलप्रपात स्थल का चारों तरफ से अवलोकन करने के बाद वन विभाग को इस दिशा में पहल शुरू कर देने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि मुंडेश्वरी धाम से करकटगढ़ को जोड़ने के लिए लिंक पथ निकालें, ताकि यहां पर्यटक आसानी से आ-जा सकें। उन्होंने इको टूरिज्म के लिए करकटगढ़ को अंडरफुल प्लेस बताया और कहा कि यहां का अद्भूत प्राकृतिक सौंदर्य है। इस माह के अंत तक एक बार नदियों के उद्गम स्थल को देखने आने की भी बात कही। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह जल पशु एवं जल पंक्षी का सर्वे कराएं और यह अंकित करें कि इस जलप्रपात के पास आने-जाने का क्या समय है? उन्होंने करकटगढ़ के दृश्य को देखकहा कि यहां अद्भूत नजारा दिख रहा है। मगरमच्छ संरक्षण केंद्र व इको टूरिज्म बनने से यहां आनेवाले पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी। उन्होंने इसका शीघ्र प्लान तैयार करने का निर्देश प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. डीके शुक्ला व मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी भारत ज्योति को दिया। मुख्यमंत्री ने कैमूर में बननेवाले टाइगर रिजर्व जोन व पंक्षी आश्रय स्थली के बारे में भी वन विभाग के अधिकारियों से जानकारी ली। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि इको टूरिज्म वन विभाग के जिम्मे रहे और इसके अंदर एक विंग बने, जो इको टूरिज्म को देखे। क्योंकि पर्यटन विभाग के जिम्मे इको टूरिज्म का कार्य रहने से वैधानिक परेशानी आ रही है। उन्होंने जलप्रपात की दूरी पर स्थित खाली मैदान की घेराबंदी कराने को कहा। उनका कहना था कि इससे किसी को खाईं में गिरने का डर नहीं रहेगा। मुख्यमंत्री ने सर्किट हाउस के बगल में स्थित नदी का मुआयना किया। उन्होंने अधौरा के सारोदाग स्थित उस स्थल पर जाने की इच्छा जतायी जहां से करकटगढ़ में पानी आ रहा है। अधिकारियों ने संभावना जतायी कि फरवरी में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम बन सकता है।
कैमूर के जलाशयों में हैं 25-30 मगरमच्छ
कैमूर के जलाशयों में 25-30 मगरमच्छ हैं। कर्मनाशा नदी पर कैमूर वन्य प्राणी क्षेत्र में करकटगढ़ जलप्रपात है। इस बारहमासी जलप्रपात में मगरमच्छ की संख्या बढ़ रही है। जलप्रपात की उंचाई करीब 35 मीटर है। यह स्थल भभुआ से 50 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इस जलप्रपात का श्रोत अधौरा प्रक्षेत्र के सारोदाग स्थित एक वट वृक्ष है।

प्राकृतिक सौंदर्य का है अद्भूत नजारा
कैमूर में इको टूरिज्म को बढ़ावा देना एक सार्थक पहल है। कुदरत ने न सिर्फ संरक्षित क्षेत्रों, बल्कि इससे बाहर भी मुक्त हाथों से प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीवन के अनूठे संसार की नेमत बख्शी है। संरक्षित क्षेत्रों से इतर भी यहां की जैव और वन्यजीव विविधता भरी पड़ी है। करकटगढ़ का जलप्रपात सातवीं पहाड़ी पर स्थित है।