
बिहार ब्रेकिंगः अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर न सिर्फ शिवसेना सरीखे बीजेपी के सहयोगी दल उससे सवाल पूछ रहे हैं बल्कि देश के साधु-संतो का भी खूब दबाव है। मामला अदालत में है। कई बार ऐसी खबरें आती है कि केन्द्र सरकार राम मंदिर निर्माण को लेकर कानून लाने की तैयारी में है। क्या वाकई राम मंदिर निर्माण को लेकर कानून लाना संभव है? सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज का एक बेहद अहम बयान इस मामले में सामने आया है। अगर मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उच्चतम न्यायालय के पूर्व जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर का बयान आया है। उनका कहना है कि उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित होने के बावजूद सरकार इसपर कानून बना सकती है।
जस्टिस चेलमेश्वर ने कांग्रेस पार्टी से जुड़े संस्थान ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस की एक परिचर्चा सत्र के दौरान कहा कि उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित होने के बावजूद सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बना सकती है। उन्होंने कहा कि विधायी प्रक्रिया द्वारा अदालती फैसलों में अवरोध पैदा करने के उदाहरण पहले भी रहे हैं। जस्टिस चेलमेश्वर ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए एक कानून बनाने की मांग संघ परिवार में बढ़ती जा रही है।

इस साल की शुरुआत में जस्टिस चेलमेश्वर उच्चतम न्यायालय के उन चार वरिष्ठ न्यायाधीशों में शामिल थे जिन्होंने संवाददाता सम्मेलन कर तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के कामकाज के तौर-तरीके पर सवाल उठाए थे। शुक्रवार को परिचर्चा सत्र में जब चेलमेश्वर से पूछा गया कि उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित रहने के दौरान क्या संसद राम मंदिर के लिए कानून पारित कर सकती है, इस पर उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है।
उन्होंने कहा, ‘यह एक पहलू है कि कानूनी तौर पर यह हो सकता है (या नहीं)। दूसरा यह है कि यह होगा (या नहीं)। मुझे कुछ ऐसे मामले पता हैं जो पहले हो चुके हैं, जिनमें विधायी प्रक्रिया ने उच्चतम न्यायालय के निर्णयों में अवरोध पैदा किया था।’ चेलमेश्वर ने कावेरी जल विवाद पर उच्चतम न्यायालय का आदेश पलटने के लिए कर्नाटक विधानसभा द्वारा एक कानून पारित करने का उदाहरण दिया।