
-सत्य प्रकाश (लेखक वरिष्ठ टीवी पत्रकार हैं)

मोदी डरे हुए थे कि अस्थाना को नहीं बचाया गया तो कहीं राज न खोल दें। वो इसलिए भी डरे हुए थे कि आलोक वर्मा कहीं राफेल मामले की जांच न शुरू कर दें…फिर क्या होता। पीएम टेबल के नीचे छिप जाते। वो इसलिए भी डरे हुए थे वो जिस तरह से सीबीआई का इस्तेमाल करना चाह रहे थे वैसा कर नहीं कर पा रहे थे। ये सब सुनकर, पढ़कर हंसी नहीं आती आपको । लगता है मोदी देश के प्रधानमंत्री नहीं, करनौती ग्राम पंचायत के सिलेटी मुखिया हों। हद है रे भाई…। वर्मा जी अच्छे अधिकारी हैं । ईमानदार भी हैं। लेकिन अगर दो मामले कांग्रेस या उसके सिंडिकेट के खिलाफ खोल देते तो और अस्थाना सीबीआई में नहीं होते…तो शायद कांग्रेस वाले कह रहे होते, ‘प्लानेट पर इससे बड़ा भ्रष्ट कोई नहीं’। शर्म नहीं आती इन्हें ऐसा कहते हुए । इन्हीं के समय सीबीआई को तोता की उपाधि मिली। इन्हीं के समय सुप्रीम कोर्ट की सुचिता पहली बार ध्वस्त की गई। इन्हीं के समय उद्योगपति ने खुलेआम कहा कि सरकार उसकी जेब में है। इन्हीं के समय भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ा आंदोलन हुआ।
इन्हीं के समय लोकतंत्र को कुचलकर रख दिया गया। इन्हीं के समय भाई-भतीजावाद शीर्ष पर पहुंचा। इन्हीं के समय संस्थागत लूट के खिलाफ संपूर्ण क्रान्ति की बातें हुई। इन्हीं के समय स्कूल-कॉलेज एक के बाद एक कर अपनी पहचान खोते चले गए। इन्हीं के समय इतिहास-भूगोल से मनमर्जीपन हुआ। यही लोग अल्पसंख्यकों को देश में पहला हिस्सा दे रहे थे। यही लोग हर तरह के ‘वाद’ के रक्तबीज बोते रहे। इन्होंने ही कमंडल आंदोलन का ताला खुलवाया । ख़ैर अगर सिर्फ यही कहते रहेंगे कि ‘इन्हीं लोगों ने’, ‘इन्हीं लोगों ने’…तो आप ‘संपूर्ण भक्त सर्टिफिकेट’ हमारी वॉल पर भी तो चिपका देंगे। कहेंगे ‘भक्त कहीं के’ । ख़ैर…डर से नहीं…अनुभव से कहते हैं कि इन्होंने किया भी बहुत कुछ है। लेकिन फर्क ये है कि ज्यादातर बार ये अपने फायदे के लिए करते रहे ( अपवाद छोड़)। आज स्थिति थोड़ी उल्टी हुई सी दिखती है। इसलिए अगर दो महंत मठाई के लिए महंतगीरी की गरिमा भूलकर पिले पड़े हैं…तो दोनों भगाए ही जाते हैं। ये आज से नहीं सालों से हमारे इलाके में मठ की गद्दी के लिए होता है…। सीधे नहीं निकले तो हुजूम…भगाता है। यहां भी वही हुआ। कम से कम सीबीआई में कैट फाइट तो नहीं करते। सबूत है, गवाह है, तो प्लेटफॉर्म भी था। जब खुद ही ढेका खोल दिए…तो दरवाजा बंद होना नैसर्गिक था। बाकी जो बिलबिलाने वाला ग्रुप है…उसे पूरा देश जान गया है। उनकी बिलबिलाहट क्यों है…ये उनके मुंह खुलते समझ में आ जाता है ? इसिलए मौज में रहिए। ज्यादा टेंशन-वेंशन मत लीजिए।
(प्रकाशिक विचार लेखक के अपने हैं, ‘बिहार ब्रेकिंग’ का इससे सहमत होना अनिवार्य नहीं है)