
बिहार डेस्क-राजेश लहरी-कैमूर

अभी कल महिला का मौत का बबाल थमा ही नही था फिर राक्षस रुपी चेहरा उजागर हुआ। यह घटना मंगलवार शांम का है जहा यू. पी आजमगढ़ जिले के रानीसराय गांव के अंगद सिंह 25 पिता सागर सिंह को किसी ने तेजाब डाल कर बुरी तरह घायल कर दिया जिसे सदर अस्पताल का ही 102 नम्बर का एम्बुलेन्स उठा कर लाया जो पुरा दोनो हाथ पैर सीना जला हुआ था लेकिन डॉक्टर ने लावारिस कर भर्ती कर लिया मात्र एक इंजेक्शन लगा कर छोड़ दिया। पिड़ित दर्द और भुख से रात भर तड़पता रहा लेकिन किसी ने बर्न वार्ड मे जाने का जरुरत ही नही समझा लेकिन अस्पताल का ही एक सुरक्षाकर्मी संवाददाता को सारी जानकारी दी। संवाददाता सुरक्षाकर्मी को लेकर वार्ड मे पहुचा तो उसकी हालत देखकर दंग रह गया। पिड़ित से पुछने पर वो रो रो कर टुटी टुटी आवाज मे केवल नाम पता बताया और इशारे से समझाया बहुत दर्द है बहुत भुख लगी है रात से कोई खाना नही दिया है। एक महिला कर्मचारी से पुछा सबको नास्ता खाना मिला इसको क्यू नही मिला तो बताई खाने बाटने वाली महिला आई कमरे मे झांकी लेकिन बगैर खाना दिए चली गई। लेकिन सच्चाई यह है कि पिड़ित के पास बर्तन नही था क्योकि अस्पताल प्रशासन खाना मरीज के ही बर्तन में देती है क्योकि यहा थाली ग्लास का व्यवस्था नही है। संवाददाता के पहल पर अस्पताल के डी. एस डा. विनोद कुमार आए मरीज का जायजा लेकर तुरन्त बैन्डेज दवा का आदेश दिया और कर्मचारियों को डांट डपट लगाया। फिर खाना का इन्तजाम करने को कहा। बाद मे डी. एस ने बताया ये लावारिश है मैने फोन करके भभुआ थाना को तीन बार बुलाया लेकिन कोई चौकिदार नही आया। अब सवाल ये उठता है क्या भभुआ पुलिस ईलाज करेगी या खाना देगी। इन दिनो सदर अस्पताल भभुआ चर्चा का विषय बना हुआ है अपनी करतुतो के कारण जिला प्रशासन को इसकी जांच कर डॉक्टर से कर्मचारी, मैनेजर, डी. पी. एम और सिविलसार्जन पर कठोर करवाई करनी चाहिए।