
भारत छोड़ो आंदोलन की 83वीं वर्षगांठ पर बिहार राजभवन में “महात्मा गांधी की प्रासंगिकता” विषय पर आयोजित हुआ कार्यशाला
पटना: ऐतिहासिक भारत छोड़ो आंदोलन की 83वीं वर्षगांठ के अवसर पर आज बिहार के राजभवन के दरबार हॉल में “महात्मा गांधी जी की प्रासंगिकता” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य गांधीजी के विचारों और सिद्धांतों की समकालीन संदर्भ में उपयोगिता पर विमर्श करना था।

कार्यशाला का शुभारंभ बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने दीप प्रज्वलित एवं उद्बोधन के साथ किया। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने गांधीजी के सत्य, अहिंसा, आत्मनिर्भरता और ग्राम स्वराज के सिद्धांतों को आज के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में अनिवार्य बताया। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति सदैव शांति और अहिंसा की रही हैं जिसे बापू ने अपने जीवनपर्यंत न केवल फैलाया बल्कि उसे व्यावहारिक रुप में लागू भी किया। गांधी जी का नैतिक बल आज भी प्रेरणा देता है। यह नैतिक बल ही है, जिसके कारण आज की विश्व के महाशक्ति के भारत मुखर होकर खड़ा है।
मुख्य अतिथि आरिफ मोहम्मद खान ने प्रो (डॉ) रेखा कुमारी, प्रो पारस राय, डॉ शुभलक्ष्मी, डॉ कुमारी रेखा, प्रो परमानन्द सिंह और वसीम अहमद खान प्रशस्ति चिन्ह देकर को विशेष सम्मान प्रदान किया। सत्र की अध्यक्षता केरल एवं नागालैंड के पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार ने की। अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने गाँधी जी के विचारों की वर्तमान सामाजिक संदर्भों में प्रासंगिकता पर अपना विचार साझा किया और कहा कि महात्मा गांधी की प्रासंगिकता को प्रसारित करने हेतु आरंभ किये गये इस अभियान में उनका पूर्ण सहयोग रहेगा। स्वागत भाषण प्रो (डॉ) देवेन्द्र प्रसाद सिंह, संयोजक, गांधी प्रासंगिकता स्थापनार्थ अभियान समिति ने प्रस्तुत किया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में झारखंड स्वायत्तशासी परिषद के उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद डॉ सूरज मंडल उपस्थित रहे। इस अवसर पर बीआरएबी विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के कुलपति प्रो (डॉ) दिनेश चंद्र राय, टीपीएस कॉलेज पटना के प्राचार्य एवं डीएसपीएमयू रांची के पूर्व कुलपति प्रो (डॉ) तपन कुमार शांडिल्य तथा हरिजन सेवक संघ दिल्ली के सचिव संजय राय ने भी विचार रखे। सत्र का संचालन एमडी कॉलेज नौबतपुर के प्राचार्य प्रो (डॉ) अखिलेश कुमार ने किया और धन्यवाद ज्ञापन दाउदनगर कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ देव प्रकाश ने किया।
उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रो (डॉ) दिनेश चंद्र राय ने की। मुख्य वक्ता प्रो (डॉ) तपन कुमार शांडिल्य ने गांधीजी के विचारों की आज की चुनौतियों जलवायु परिवर्तन, असमानता, बेरोजगारी और सामाजिक विघटन के संदर्भ में गहन व्याख्या की। आसिफ वसी (संयुक्त सचिव, गांधी संग्रहालय, पटना) ने गांधीजी के जीवन प्रसंगों के माध्यम से उनके सतत विकास और शांति निर्माण के संदेश को रेखांकित किया।
सत्र का संचालन डॉ शशि भूषण एवं डॉ देव प्रकाश ने किया। धन्यवाद ज्ञापन वेंकटेश कुमार ने किया। समापन सत्र की अध्यक्षता बापूू टावर पटना के निदेशक विनय कुमार ने की। मुख्य अतिथि गांधी शांति प्रतिष्ठान के पूर्व सचिव सुरेंद्र कुमार रहे। मुख्य वक्ता संजय राय ने गांधीजी की नीतियों को सामाजिक सद्भाव और न्याय के मूलाधार के रूप में प्रस्तुत किया और गांधीवादी दृष्टिकोण को लोकतांत्रिक मूल्यों के पुनर्जीवन से जोड़ा। समापन भाषण डॉ. सूरज मंडल ने दिया, जिसमें उन्होंने गांधीजी की विरासत को भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बताया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ शशि भूषण, पर्यावरण शोध एवं ग्रामीण विकास संस्थान पटना ने किया।
कार्यशाला का सार
पूरे दिन चले इस कार्यक्रम में गांधीजी के विचारों को शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, पर्यावरण संरक्षण और अंतर्राष्ट्रीय शांति में लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। प्रतिभागियों ने सामूहिक रूप से यह संदेश दिया कि गांधीवादी सिद्धांत न केवल अतीत की धरोहर हैं बल्कि वर्तमान और भविष्य के सामाजिक-आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए भी दिशा-दर्शक हैं।