बिहार ब्रेकिंगः बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर पर पटना हाईकोर्ट ने बेहत तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि आनंद किशोर बोर्ड के चेयरमैन पद पर बने रहने के लायक नहीं हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष यदि हाई कोर्ट के आदेश को समझ नहीं सकते तो वे पद पर बने रहने लायक नहीं, और यदि समझते हैं तब वे जानबूझकर हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना करते हैं ष्…इस तल्ख टिपण्णी के साथ पटना हाई कोर्ट ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनन्द किशोर के खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाने का शुक्रवार को निर्देश दिया। शुक्रवार को पटना हाई कोर्ट ने पांच स्कूलों की तरफ से दायर रिट याचिका की सुनवाई करते हुए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनन्द किशोर पर प्रथम दृष्टया हाई कोर्ट की अवमानना का मामला बनते देख उनके खिलाफ अवमानना का मुकदमा दायर करने का आदेश दिया है। चूंकि पांच रिट याचिकाओं की सुनवाई में समिति के अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना के मामले का आदेश हुआ है इसलिए उनके खिलाफ पांच अवमानना का मुकदमा दायर किया जाएगा । न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने श्रीरामचंद्र सीनियर सेकेंडरी स्कूल व अन्य चार स्कूलों की ओर से दायर रिट याचिका को सुनते हुए आनन्द किशोर के खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाने का निर्देश दिया। साथ ही परीक्षा समिति के अध्यक्ष को अवमानना के आरोप गठन को लेकर 8 अक्टूबर तक अपना जवाब (शो कॉज ) भी दायर करना होगा।मामला इन पांच स्कूलों के एफिलिएशन का था। इन स्कूलों के साथ-साथ करीब ढाई सौ स्कूलों का एफिलिएशन परीक्षा बोर्ड ने पिछले वर्ष अलग-अलग आदेशों से रद्द कर दिया था। पटना हाई कोर्ट की एकलपीठ ने उन सभी स्कूलों की एफिलिएशन की रद्दीकरण आदेश को अवैध पाते हुए निरस्त कर दिया था। यहां तक कि दो जजों की खण्डपीठ ने भी इस फैसले को बरकरार रखा केवल परीक्षा समिति को इतनी छूट दी कि इन स्कूलों की संबद्धता को लेकर फिर से नया आदेश नियमानुसार पारित कर सकती है। हाई कोर्ट द्वारा इन स्कूलों के एफिलिएशन के रद्दीकरण आदेश को निरस्त होने के बाद इन स्कूलों का एफिलिएशन स्वतः पुनर्जीवित हो उठा।

इस कानूनी स्थिति को परीक्षा समिति ने न सिर्फ अस्वीकार किया बल्कि हाई कोर्ट में जवाब दायर कर कहा कि बोर्ड द्वारा याचिकाकर्ता के स्कूलों का एफिलिएशन नहीं माना जा रहा है। इसलिए इंटर कक्षाओं में ऑनलाइन दाखिले की सुविधा से भी इन स्कूलों को वंचित रखा गया। जिसके खिलाफ ये पांच स्कूल हाई कोर्ट में आये। हाई कोर्ट आदेश के प्रति परीक्षा बोर्ड के अध्यक्ष की ऐसी अवज्ञाकारी रुख को देखते हुए न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने अध्यक्ष आनन्द किशोर के खिलाफ अवमानना वाद स्वतः दायर करने का आदेश हाई कोर्ट प्रशासन को दिया। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष की तरफ से जो जवाब दायर हुआ उसे देख कर हाई कोर्ट ने प्रथम दृष्टया अध्यक्ष द्वारा हाई कोर्ट की अवमानना करते पाया। अध्यक्ष की तरफ से जवाब दिया गया कि चूकि खण्डपीठ ने समिति को इन स्कूलों की संबद्धता पर पुनः विचार कर आदेश पारित करने की छूट दे रखी है इसलिए इन स्कूलों का एफिलिएशन अभी ष्विचारार्थष्है। अगर वर्तमान में छात्रों को इंटर कक्षाओं में दाखिला दे दिया गया तब उनका भविष्य अधर में लटक सकता है यदि बोर्ड इन याचिकाकर्ता स्कूलों को भविष्य में संबद्धता नहीं दे।