
एनजीओ के संचालक सहित सभी प्रमुख पदाधिकारी शहर छोड़ कर हुए फरार
बिहार डेस्क-विवेक कुमार-मुंगेर

विगत वर्ष जमालपुर शहर में एक एनजीओ ने बेरोजगार युवकों को नौकरी का झांसा देकर उनसे लाखों रुपए की ठगी कर ली। अथर्व वेलफेयर सोसायटी नामक एनजीओ के खिलाफ बरियारपुर थाना क्षेत्र के दीवानी टोला गांव निवासी सारिका सुमन देवी ने आदर्श थाना जमालपुर में कंपनी के स्टेट हेड सुमित कुमार, सहयोगी अमित कुमार, संजय कुमार मंडल, दिलीप सक्सेना के अलावा संस्था के निदेशक घनश्याम तिवारी एवं निदेशक के भाई सह उपनिदेशक अवनीश तिवारी के खिलाफ बेरोजगार युवकों से करीब 62 लाख रुपए ठगी करने के मामले में शिकायत दर्ज कराई है। अपने शिकायत पत्र में शिकायतकर्ता सारिका सुमन देवी ने बताया कि अथर्व वेलफेयर सोसायटी नामक संस्था ने वर्ष 2017 में जमालपुर-मुंगेर मुख्य पथ पर पेट्रोल पंप के निकट स्थित जयमाला कांपलेक्स में अपना बिहार स्टेट कार्यालय स्थापित किया।
संस्था के पदाधिकारियों द्वारा उनके पति शिवकिशोर मंडल को भागलपुर जिला अंतर्गत डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर का पद पर नियुक्त करते हुए बेरोजगार युवकों को नौकरी देने के नाम पर झांसा देते हुए प्रत्येक युवक से सिक्योरिटी अमाउंट के रूप में 3500 रुपए लेने का आदेश दिया। संस्था के पदाधिकारियों के आदेश के आधार पर उनके पति ने नौकरी के लिए आए बेरोजगार युवकों से सिक्योरिटी अमाउंट के रूप में प्रति व्यक्ति 3500 रुपए की दर से जमा लेने के बाद स्टेट कार्यालय के संबंधित पदाधिकारियों को 5 लाख 25 हजार रुपए सुपुर्द कर दिया। जिसका मुहर युक्त पावती रसीद भी उन्हें जारी किया गया। बेरोजगार युवकों से सिक्योरिटी अमाउंट लेने के बाद भी उन लोगों को नौकरी नहीं दिया गया। इस प्रकार विभिन्न कार्यालयों से करीब 62 लाख रुपए की ठगी करने के बाद संस्था ने पहले अपना कार्यालय स्थानांतरण जुबली वेल स्थित एक भवन में स्थापित किया। उसके बाद धीरे-धीरे संस्था के अधिकारी जमालपुर से बेरोजगार युवाओं से ठगी कर जमा किए गए रकम को लेकर रफूचक्कर हो गए। शिकायतकर्ता के आवेदन पर जमालपुर थाना पुलिस मामले के अनुसंधान में जुट गई है। एनजीओ के स्टेट हेड सुमित कुमार यह दावा किया था कि उनकी संस्था भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की एक योजना पर कार्य कर रही है। संस्था द्वारा बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में मरीजों के बीच मुफ्त दवाइयां वितरित की जाएगी। संस्था के प्रचार के लिए विभिन्न समाचार पत्रों में विज्ञापन तक प्रकाशित कराया गया था। कंपनी द्वारा बेरोजगार युवकों को रोजगार देने के लिए जिला एवं प्रखंड स्तर पर टीम गठित की गई थी। जानकारी अभी प्राप्त हुई है कि संस्था द्वारा आयुष मंत्रालय से बिहार के विभिन्न हिस्सों में मुफ्त दवा वितरण के नाम पर करोड़ों रुपए का गबन भी किया है।