
रूस और यूक्रेन टकराव पर संजीव ठाकुर चिंताक का एक आलेख
बिहार ब्रेकिंग

रूस, अमेरिका तथा चीन परमाणु महाशक्ति की प्रतियोगिता में कोई भी ऐसा मौका नहीं चूकते जिससे वह एक दूसरे को नीचा दिखा सकें। रूस, यूक्रेन से बहुत ज्यादा खफा है। खफा इसलिए भी है क्योंकि यूक्रेन का साथ अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इजरायल और अन्य यूरोपीय देश खुल कर साथ देने पर आमादा हैं। रूस ने स्पष्ट रूप से इन देशों को चेतावनी देकर कहा है कि यदि ये देश यूक्रेन समर्थन में सामने आते हैं तो परमाणु युद्ध होने की पूरी संभावना है। यूक्रेन को लेकर अमेरिका और रूस आमने सामने आ गए हैं। अमेरिका नाटो तथा अन्य यूरोपीय देश यूक्रेन का खुलकर समर्थन कर रहे हैं।
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यूक्रेन नाटो की सदस्यता चाहता है अमेरिका तथा अन्य यूरोपीय देशों से नाटो का सदस्य बनाना चाहते हैं पर रूस यूक्रेन से लीगल गारंटी चाह रहा है, इस तरह यूक्रेन कभी नाटो का सदस्य नहीं बन पाएगा। रूस और यूक्रेन के बीच काफी लंबे समय से विवाद बरकरार है। इस तरह तनाव की वजह से यूक्रेन तथा रूस के बीच युद्ध के बादल मंडराने लगे हैं। ऐसे मे रूस एकदम अलग-थलग पड़ गया है। वहीं दूसरी तरफ यूक्रेन के साथ कई यूरोपीय देश नाटो देश के सदस्य और अमेरिका खुलकर सामने आ गए हैं। एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार रूस ने यूक्रेन की सीमा पर बड़ी संख्या में अपने जवानों को भारी हथियारों के साथ तैनात कर दिया है। एवं अपने सामरिक टैंक और जहाज भी यूक्रेन की सीमा पर लगा दिए हैं। यूक्रेन को आशंका है कि रूस कभी भी उस पर हमला कर सकता है। रूस ने अपनी खुफिया एजेंसियों को वहां तैनात कर दिया है।
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अमेरिकी सैटेलाइट एजेंसियों से मिली तस्वीरों से यह साफ तौर पर देखा जा सकता है कि रूस यूक्रेन की सीमा पर युद्ध की पूरी तैयारी लेकर ही डटा हुआ हैं। उल्लेखनीय है कि यूक्रेन की जड़े सोवियत रूस से जुड़ी हुई है वहां के राष्ट्रपति ब्लॉदिमिर जेल्सकि राजनेता बनने से पहले अभिनेता और हास्य अभिनेता थे, वह सर्वेंट ऑफ द पीपल पार्टी से जुड़े हुए हैं। और रूस की किसी भी तरह तरफदारी करते नहीं दिखाई दे रहे हैं। यूक्रेन तथा रूस के बीच विवाद की पड़ताल की जाए तो सबसे पहला विवाद 2014 में पैदा हुआ था। जब यूक्रेन से क्रीमिया प्रायदीप को रूस ने अलग थलग कर दिया था। तब से ही से दोनों देशों के बीच क्रीमिया को लेकर जबरदस्त तनाव बना हुआ है। यूक्रेन हर हाल में क्रीमया प्रायद्वीप को वापस लेना चाहता है रूस इसमें सबसे बड़ी बाधा बनकर खडा है। इस मुद्दे पर पश्चिमी देश तथा अमेरिका यूक्रेन से कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। रूस इस मामले में अलग-थलग पड़ गया। अमेरिका ने चीन को स्पष्ट शब्दों में समझा दिया है की यूक्रेन तथा रूस के बीच आने की कोशिश भी ना करें वरना अंजाम बुरे होंगे। बरहाल चीन अभी इस मामले में शांत है, उसने अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यूक्रेन तथा रूस के बीच तनाव का दूसरा कारण नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन का बनना भी है। रूस चाहता है कि यह पाइप लाइन रूस के लिए बड़ी फायदेमंद साबित होगी ,क्योंकि इस पाइपलाइन के जरिए रूस तेल तथा गैस सीधे जर्मनी को भेजेगा और वहां से यूरोपीय देश को भी गैस, तेल की सप्लाई करेगा।
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यूरोपीय देशों में जर्मनी एक बहुत बड़ी आर्थिक ताकत है एवं केंद्र भी है। जिसके कारण कई संतुलन बिगड़ने की संभावना है। यह पाइप लाइन बनने से यूक्रेन को जबरदस्त तरीके से वित्तीय नुकसान होने वाला है। क्योंकि यूक्रेन को इस पाइपलाइन के जरिए जबरदस्त आर्थिक लाभ होता है और पाइप लाइन बनने से उसकी कमाई खत्म हो जाएगी। अमेरिका नहीं चाहता की जर्मनी इस पाइपलाइन के जरिए गैस और तेल प्राप्त करें और वह यह भी नहीं चाहता कि जर्मनी इस पाइपलाइन को मंजूरी प्रदान करें। जर्मनी यूरोप की एक बड़ी अर्थव्यवस्था का हिस्सा है। इस तरह क्रिमियां और पाइपलाइन दोनों ही विवादों के घेरे में है। रूस यूक्रेन के बीच विवाद की तीसरी बड़ी वजह यूक्रेन की नाटो के सदस्य के रूप में सदस्यता लेने की मंशा ही है, रूस नहीं चाहता की यूक्रेन नाटो देश का सदस्य बने वह इसे रोकने के लिए यूक्रेन से लीगल गारंटी चाहता है जो यूक्रेन किन्हीं भी परिस्थितियों में नहीं दे सकता ऐसे में यूक्रेन का नाटो का सदस्य बनना असंभव प्रतीत होता है।
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अमेरिका और यूक्रेन तथा यूरोपीय देशों को यह आशंका है कि रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है और इन परिस्थितियों को देखते हुए यूरोप में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया। इस तनाव को लेकर यूरोप तथा अमेरिका के बीच कई बार महत्वपूर्ण बैठकें हो चुकी हैं ।अमेरिका बार-बार यूक्रेन के साथ खड़ा होने और पूरी मदद करने का वादा भी कर चुका है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने स्पष्ट कह दिया है कि यदि रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो उसे जबरदस्त आर्थिक तथा कई अन्य प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी परिस्थितियां बन रही है कि यदि रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो अमेरिका अपने वायदे के अनुसार यूक्रेन की मदद करेगा एवं यूरोपीय देशों के साथ ब्रिटेन भी यूक्रेन का साथ देने के लिए तैयार है, फल स्वरूप रूस का साथ देने के लिए चीन और अन्य देश भी सामने आ सकते हैं जिससे विश्व युद्ध की आशंका से कतई इंकार नहीं किया जा सकता है। इन परिस्थितियों में भारत को एक गुट निरपेक्ष देश की तरह समझौते के लिए आगे आना पड़ सकता है।