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पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं लोकजनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान को मरणोपरांत पद्मभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया। दिल्ली में राष्ट्रपति आवास में सोमवार को आयोजित समारोह के दौरान जनसेवा में विशेष योगदान के लिये राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिवंगत रामविलास पासवान को पद्मभूषण सम्मान से अलंकृत किया। दिवंगत रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान ने अपने पिता का सम्मान राष्ट्रपति के हाथों से ग्रहण किया। रामविलास पासवान भारतीय राजनीति में एक बड़े स्तंभ के रूप में जाने जाते थे। एक छोटे से गांव से आये रामविलास पासवान ने बहुत ही कम समय मे सफलताओं के झंडे गाड़े और राजनीतिक स्तम्भ बन गए। रामविलास पासवान गरीब तबके के लोगों के लिए मसीहा के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने गरीबों के उत्थान के लिए कई अहम क्षेत्रो में अपना योगदान दिया।
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रामविलास अपने राजनीतिक जीवन में 11 चुनाव लड़े। इनमें नौ चुनावों में उन्होंने जीत हासिल की। नौ बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए। अपने राजनीतिक रुझान के कारण उन्होंने पिता के विरोध के बावजूद डीएसपी की नौकरी को ठुकरा दिया था। रामविलास पासवान का जन्म 1946 ई में खगड़िया जिले के शहरबन्नी में हुआ और उनका निधन 74 वर्ष की उम्र में 8 अक्टूबर 2020 को इलाज के दौरान हुआ। जय प्रकाश आंदोलन के दौरान वे तेजी से बिहार की सियासत में उभरे।1977 में बिहार की हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीते। इस सीट से वे आखिर तक चुनाव जीतते रहे। उम्र के आखिरी पड़ाव पर उन्होंने खुद लोकसभा चुनाव लड़ने की बजाय हाजीपुर सीट से अपने भाई पशुपति पारस को उम्मीदवार बनाया और वे जीते।
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लोजपा के संस्थापक और पूर्व मंत्री रामविलास पासवान के साथ ही बिहार के तीन और अन्य लोगों को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया। कला के क्षेत्र में दुलारी देवी एवं रामचंद्र मांझी को और चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ दिलीप कुमार सिंह को पदमश्री सम्मान से अलंकृत किया गया।


