
बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कुर्सी पर भी ‘संवैधानिक संकट’ मंडरा सकता है? कुछ ऐसे ही सवाल सियासी गलियारों में बीते कुछ दिनों से उठ रहे हैं। जिसके बाद आज ममता बनर्जी ने विधानसभा में आज नया दांव चला। आज ममता बनर्जी ने विधानसभा में विधान परिषद बनाने का प्रस्ताव पेश किया है। माना ये जा रहा है कि इस दांव के जरिये ममता की नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाए रखने पर है। बंगाल विधानसभा ने आज संविधान की धारा 169 के तहत राज्य में विधान परिषद के निर्माण को लेकर प्रस्ताव पारित कर दिया है।

अब इसे अमल में लाने के लिए संसद की दोनों सदनों से पारित कराना होगा। बंगाल विधानसभा ने विधान परिषद के निर्माण को लेकर सदन में पेश प्रस्ताव के पक्ष में 196 सदस्यों ने वोट किया तो विरोध में 69 वोट पड़े।बता दें कि देश के प्रत्येक राज्य में जहां विधान सभा है वहीं कुछ राज्यों में विधान परिषद भी है। जिस प्रकार से संसद में लोकसभा और राज्यसभा की व्यवस्था है।
उसी तरह राज्य के विधान मंडल में विधान सभा और जरूरत पड़ने पर विधान परिषद की भी व्यवस्था की गई है। विधान परिषद को राज्यों में लोकतंत्र का ऊपरी प्रतिनिधि सभा माना जाता है। जिसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने जाते हैं। जबकि कुछ सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। आज से पांच दशक पहले पश्चिम बंगाल में विधान परिषद हुआ करती थी। लेकिन वाम दलों की गठबंधन सरकार ने 50 साल पहले पश्चिम बंगाल की विधान परिषद को समाप्त कर दिया था। 21 मार्च 1969 को विधान परिषद को समाप्त करने के लिए राज्य विधानसभा द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया था। संसद में पश्चिन बंगाल विधान परिषद (उन्मूलन) अधिनियम, 1969 को 1 अगस्त से लागू कर विधान परिषद को समाप्त कर दिया गया।