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1 मई, हम इसे मजदूर दिवस के नाम से जानते हैं। अप्रैल महीने के अंत में इस दिन का कई लोग बेसब्री से इंतजार भी करते हैं ताकि एक दिन की छुट्टी मिल सके। हालांकि हम यहां मजदूर दिवस पर छुट्टी की बात नहीं कर रहे बल्कि हम आपको बताना चाहते हैं कि आखिर मजदूर दिवस की शुरुआत कैसे हुई। यह दिन दुनिया के मजदूरों और श्रमिक वर्ग को समर्पित है। तो आइए जानते हैं-
1 मई, 1886 में मजदूरों ने किया आंदोलन
अमेरिका में पहले मजदूरों से एक दिन में 10 से 15 घंटे तक काम करवाया जाता था। इससे परेशान मजदूरों ने वर्ष 1886 में आज के ही दिन आंदोलन शुरू कर दी और उन्होंने 8 घंटे काम करने मंजूरी की बात बात की। अधिक समय काम करवाने के विरोध एवं 8 घंटे काम करने के समर्थन में हजारों मजदूर सड़क पर उतर आए। मजदूरों के आंदोलन पर कुछ जगहों पर पुलिस ने मजदूरों के भीड़ पर गोली चला दी जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई थी एवं सैकड़ों मजदूर घायल हो गए थे। तत्पश्चात 1 मई 1889 में पेरिस में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक में 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई साथ ही 8 घंटे काम करने की भी मंजूरी मिली थी।
भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत
भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 में हुई। भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी। यही वह मौका था जब पहली बार लाल रंग झंडा मजदूर दिवस के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। यह भारत में मजदूर आंदोलन की एक शुरुआत थी जिसका नेतृत्व वामपंथी व सोशलिस्ट पार्टियां कर रही थीं। दुनिया भर में मजदूर संगठित होकर अपने साथ हो रहे अत्याचारों व शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे।