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देश कोरोना जैसे भीषण महामारी के दौर से गुजर रहा है। हर तरफ लोग अपनी और अपनों की जिंदगी बचाने के लिये भागमभाग और जुगाड़ में लगें हैं। इसी बीच नागपुर से एक वृद्ध की इंसानियत ने एक मिसाल कायम किया है। कोरोना से पीड़ित इस वृद्ध ने शरीर में ऑक्सीजन लेवल कम होने के बावजूद अस्पताल में अपने लिये बेड लेने से बस इसलिए मना कर दिया कि उसके सामने एक कोरोना पीड़ित एक क्रिटिकल कंडीशन में एक चालीस वर्षीय युवक को बेड नहीं मिल रहा था। उक्त वृद्ध ने युवक को बेड नहीं मिल पाने के कारण उसकी पत्नी और बच्चे को रोता देख कहा कि हमने बहुत जी लिया यह बेड उस युवक को दे दिया जाए। उक्त वृद्ध अपना बेड उस युवक को देकर अपने घर आ गए और तीन दिन बाद उनकी मौत हो गई।
जानकारी के मुताबिक, नागपुर के रहने वाले नारायण भाऊराच दाभाड़कर खुद कोरोना संक्रमित थे। ऐसे में उनके दामाद और बेटी ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने का फैसला किया था। इंदिरा गांधी शासकीय अस्पताल में पहले से ही बेड की मारामारी थी। वहां बड़ी मशक्कत के बाद बेड मिला था. इलाज की प्रक्रिया चल रही थी। इसी दौरान एक महिला अपने कोरोना संक्रमित पति को बचाने के लिए बेड की गुहार लगाने वहां पहुंची। अस्पताल ने महिला के 40 साल के पति को भर्ती करने से मना कर दिया था, क्योंकि बेड खाली नहीं था।
अस्पताल में उन्होंने कहा- ‘मैंने अपनी जिंदगी जी ली है। मेरी उम्र 85 साल है। इस महिला का पति युवा है। उसे बेड दे दिया जाए।’ ये कहते हुए दाभाड़कर घर लौट आए थे। वो कुछ दिन पहले ही कोरोना संक्रमित हुए थे। ऑक्सीजन का लेवल 60 तक पहुंच गया था।