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केंद्रीय मजदूर संगठन एआईयूटीयूसी से सम्बद्ध दिल्ली आशा वर्कर्स एसोसिएशन (दावा) यूनियन की अपील पर कार्य बहिष्कार आंदोलन आज तीसरे दिन में प्रवेश कर गया है। आंदोलन अब और भी बड़ा व व्यापक हो गया है। आशा वर्कर्स ने आज से दिल्ली के सांसदों व विधायकों को ज्ञापन देना शुरू किया है। दो दिन में सभी को ज्ञापन देकर उनसे अपील की गई है कि वह जन प्रतिनिधि होने के नाते सरकार से कहे कि वह आशाओं की सभी जायज मांगो को स्वीकार कर उन्हें जन सेवा का मौका प्रदान करें। पत्र में कहा गया है कि दिल्ली की आशा वर्कर्स सरकार व प्रशासन के नकारात्मक रवैये से काफी दुखी व परेशान हैं। दिल्ली आशा वर्कर्स एसोसिएशन ने सरकार को कई बार पत्र दिए। कई बार अपनी आवाज़ उठाई। मगर सरकार ने किसी भी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया। मज़बूरन 21 जुलाई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार आंदोलन शुरू करना पड़ा है। हमारी कार्य बहिष्कार की कोई इच्छा नही है हम जन सेवा करना चाहते हैं मगर सरकार व प्रशासन का व्यवहार हमें यह करने को मजबूर कर रहा है।

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दिल्ली आशा वर्कर्स एसोसिएशन की महासचिव उषा ठाकुर ने बताया कि हम महामारी में जन सेवा करना चाहते हैं मगर सरकार कम से कम हमें पेट भरने लायक अन्न तो दे। सरकार ने ₹33 प्रतिदिन देने का आदेश दिया था मगर वह भी हमें नही दिया जा रहा है जबकि ₹50-100 प्रतिदिन तो हमारे किराये भाड़े व अन्य में ही खर्च हो जाते हैं। हम कर्जदार बनते जा रहे हैं। सरकार हमसे बंधुवा मजदूर की तरह रात दिन काम ले रही है। यूनियन की अध्यक्ष सोनू व कार्यकारी अध्यक्ष शिक्षा राणा ने कहा कि आशाओं का शोषण हो रहा है। संक्रमित व्यक्ति के घरों पर हमें भेजा जाता है। पर्याप्त सुरक्षा साधन तक नही दिए जाते हैं। 100 से ज्यादा हमारी आशा बहन कोविड से संक्रमित हो चुकी हैं। कितनों के परिजन भी संक्रमित हो गए मगर सरकार सही से देखभाल तक नही दे रही है। आशाओं के घर भुखमरी की चपेट में आ गए है। एआईयूटीयूसी दिल्ली की सचिव मंडल सदस्य कविता यादव ने बताया कि हम सरकार को कितने ही बार पत्र दे चुके हैं। आज से सांसदों, विधायकों को भी पत्र दे रहे हैं। हम तुरन्त काम पर लौट कर जन सेवा करना चाहते हैं हमें बस इतना चाहिए कि सरकार ने जैसे अन्य मजदूरों बिना काम कराएं ही सहायता की है जो सही था। हमसे काम भी करवाये और प्रति माह कम से कम 10 हजार रुपये दे। हमें संरक्षी साधन दे। हमें व हमारे परिवार के अच्छे इलाज की जिम्मेदारी ले। हम इंतजार में हैं जब सरकार हमारी बाजिब बातों को मान कर हमें काम का मौका देगी।