
बिहार ब्रेकिंग-रविशंकर शर्मा-पटना ग्रामीण

बिहार सरकार के घोषणा वाले 100 करोड़ रुपए अब नही तो कब होंगे इस्तेमाल, या फिर मंत्री, अधिकारियों के लॉक डाउन में कागजी खर्च दिखा भरेंगे पॉकेट। जी हाँ हम बात कर रहे हैं उन 100 करोड़ रूपयों के बारे में जिसके लिए नीतीश सरकार ने देश मे लॉक डाउन घोषित होने के बाद आपदा में फसे गरीबों और बेबस लोगों के बीच राहत सामग्री वितरण के लिए घोषणा किया गया था लेकिन 3 दिन बाद भी रुपये का कही इस्तेमाल नही दिख रहा है। देश मे लॉक डाउन घोषित होने के बाद कोरोना का कहर अब मजदूरों पर टूटने लगा है। राज्य के दूसरे जिले से काम लिए पटना आये मजदूरों को अब घर लौटना पड़ा रहा है। लॉक डाउन के बाद से बेरोजगार भूख से तड़पते सैंकड़ों मजदूर प्रतिदिन पटना से खगड़िया, कटिहार, बेगूसराय, मुंगेर, भागलपुर समेत अन्य जिलों में अपने गंतव्य तक जाने के लिए सैंकड़ों किलोमीटर का दूरी तय कर पैदल जा रहे हैं।
इसी कड़ी में अहले सुबह पटना से पैदल चलकर भागलपुर अपने घर लौट रहे मजदूरों ने बताया कि वह पटना में मजदूरी का काम करता है। जब काम बंद हो गया तो मालिक ने भी खर्चा देने से मुँह मोड़ लिया, मजबूरन हमलोग गाँव जा रहे हैं। घऱ लौटने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा था। लेकिन ट्रेन से लेकर बस तक का परिचालन बंद हो गया था। इन सभी युवको से जब पटना से भागलपुर पैदल जाने के संदर्भ में पूछा गया तो मजदूरों ने सुस्ती लेते हुए मुस्कुराते हुए बोला पटना से सभी को पुलिस मारकर भगा रही है, हमलोगों के खाने के लाले पड़ गए हैं, पॉकेट में पैसे नही है। भूखे प्यासे कितने दिन शहर में रहेंगे। मजबूरन गावँ लौट रहे हैं।