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सोमवार को मारवाड़ी महाविद्यालय भागलपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना, आईक्यूएसी एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, बिहार प्रांत के संयुक्त तत्वाधान में “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” के तहत” अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस -21 फरवरी” पर कार्यक्रम किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ गुरुदेव पोद्दार ने किया। उक्त कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वक्ता एवं तिलकामांझी विश्वविद्यालय के कुल गीत के रचयिता विद्या-वाचस्पति अमोद कुमार मिश्र थे। कार्यक्रम का उद्घाटन प्राचार्य डॉ गुरुदेव पोद्दार, मुख्य अतिथि विद्या-वाचस्पति अमोद कुमार मिश्र, राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ आशीष कुमार मिश्र, स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. मोहन मिश्र, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास बिहार प्रांत के विश्वविद्यालय संयोजक डॉ आयुष कुमार गुप्ता ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यक्रम में विभिन्न मातृभाषाओ- हिंदी, भोजपुरी, मैथिली, संस्कृत, बंगला, मगही, उर्दू, अंगिका आदि में विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार रखे। प्राचार्य डॉ गुरुदेव पोद्दार ने कहा कि आज विभिन्न विकसित देश अपना कारोबार, कार्यशैली, व्यापार अपने मातृभाषा में ही करते हैं भाषा की प्रचलनशीलता बढ़ती जाती है। जैसे-जैसे उसे बोलने वाले की संख्या बढ़ती है। आयुष गुप्ता ने कहा कि भाषा हमारी पहचान है इसी भाषा में अपनी ज्ञान की गहनता को बढ़ाना है। संस्कृत के प्रो. मोहन मिश्र ने कहा कि संस्कृत विश्व की प्राचीनतम भाषा है। विभिन्न भाषाएं इससे उत्सर्जित हुई है। यह विश्व की धनी भाषाओं में गिनी जाती है। हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बृजभूषण तिवारी ने मातृभाषा हिंदी को देशहित में सर्वमान्य रूप से स्वीकार करने एवं देश के प्रगति के लिए आवश्यक बताया। प्रो. रामसेवक ने मैथिली मातृभाषा के महत्वता को बताया। डॉ स्वास्तिका दास ने बांग्ला भाषा में गीत के माध्यम से उसकी कोमलता को प्रस्तुत किया।मगही भाषा में डॉ अनिल कुमार सिंह ने अपनी बात रखी और कहा कि मगही भाषा में बात करना अन्य भाषाओं की तुलना में सरल एवं ग्राह्य है।
मुख्य वक्ता एवं अतिथि विद्या-वाचस्पति अमोद कुमार मिश्र ने कहा कि शिक्षिका का दायित्व है कि अपने मातृभाषा में लिखे एवं अपने मातृभाषा में पुस्तकें उपलब्ध कराये। उन्होंने उपर्युक्त सभी भाषाओं के बारीकियों को समझाया एवं उदाहरण देकर छात्र-छात्राओं को अंगिका भाषा के प्रति रुचि जगायी। मंच संचालन करते हुए डॉ आशीष मिश्र ने कहा कि “जय अंगिका जय अंगदेश अपनों भाषा अपनों भेष, नई केकरो से तू-तू मैं-मैं नई केकरो से हमरा क्लेश, जय अंगिका जय अंगदेश।” धन्यवाद ज्ञापन डॉ आशुतोष दत्ता ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में मृत्युंजय कुमार, युवराज, रौशन, सूरज, अरविंद, मुस्कान, राबिया, गौरव, चक्रधर आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।