
यह विधेयक सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय के भावना का प्रकटीकरण है, मुसलमानो को डरने की कोई जरूरत नही
बिहार ब्रेकिंग
राज्य सभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने खुशी जताते हुए इसे वर्षों से पीड़ित शरणार्थियों के लिए मरहम की संज्ञा दी है। उन्होंने इसे सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय के भावना का प्रकटीकरण बताया है। चौबे ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि वर्ष 1947 में देश के विभाजन के बाद अफगानिस्तान और पाकिस्तान तथा 1971 में बांग्लादेश के गठन के बाद वहां कुछ वर्ग विशेष पर अत्यधिक अत्याचार हुए जिसको सुनने वाला कोई नहीं था। इन पीड़ित वर्गों से एक बहुत बड़ी जनसंख्या भारत में शरणार्थी के रूप में वर्षों से रह रहा है जो अपने मानवीय अधिकार से भी मरहूम रहा है।

मुस्लिमों के प्रति भेदभाव की बात का इस विधेयक में कोई सवाल ही नही है क्योंकि इसमें शरणार्थियों को नागरिकता देने की बात है न कि किसी के नागरिकता लेने की बात है। यह विधेयक सिर्फ तीन राष्ट्रों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के शरणार्थियों से संबंधित है और ये तीनो मुस्लिम राष्ट्र है। यहां मुस्लिम बहुसंख्या में है, इसलिए यहां मुस्लिमो पर अत्याचार की बात हो ही नही सकती है। इसलिए इस विधेयक में मुस्लिम की चर्चा नही है। पूर्व में भी कॉंग्रेस सरकार ने कई बार ऐसा विधेयक लाया है जिसमे सिर्फ श्रीलंका के तमिलो, यूगांडा के हिन्दुओ तथा अन्य विशेष देशों के सिर्फ विशेष अल्पसंख्यकों को देने का प्रावधान हुआ था। इसलिए इससे भारत के किसी मुसलमान को इससे डरने की कोई बात नही है। ऐसा गृह मंत्री अमित शाह जी ने स्पष्ट किया भी है। ऐसे डर फैलाने का काम करना कांग्रेस का काम रहा है, जो वह इस बार भी कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के अथक प्रयास से आज लाखों की संख्या में पीड़ित इन लोगों को न्याय मिला है। हालांकि यह वर्ष 1947 से ही लागू हो जाना चाहिए था। लेकिन तत्कालीन सरकारों की लापरवाही और वोट बैंक की राजनीति ने लाखों लोगों के साथ यह अन्याय आज तक होने दिया। भाजपा नीत केंद्र सरकार के राष्ट्रवादी विचारों से ओतप्रोत नीति के कारण आज देश से अन्याय का एक कलंक खत्म हुआ और नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पास होकर कानून का रूप ले लिया।
चौबे ने कहा कि भारतवर्ष में हजारों वर्षों से दुनिया के सभी हिस्सों से धर्म या अन्य आधार पर आये पीड़ित लोगों को शरण मिलता रहा है। पारसी, यहूदी, ईसाई, मुसलमान, जैन, बौद्ध, तमिल सहित सभी यहां शरणार्थी बनकर सैकड़ो-हजारों वर्षों से रह रहे हैं। लेकिन वर्ष 1947 के बाद से अफगानिस्तान और पाकिस्तान तथा 1971 से बांग्लादेश में भारतवर्ष से गये नागरिको पर अमानवीय अत्याचार हुए। लेकिन भारत सरकार ने भारतवंशियों के इस अमानवीय कष्ट को दूर करने के लिए आजतक कुछ नही किया। आज जब नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में भाजपानीत केंद्र सरकार इस अन्याय को खत्म करने का प्रयास कर रही है,जिसका स्वागत सभी को करना चाहिए। मैं इसके लिए विशेष तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित इस बिल का समर्थन करने वाले सभी दलों और सभी सांसदों को हार्दिक तौर पर बधाई देता हुए उम्मीद करता हूं कि इसी तरीके से भारत के विकास और भारत के नागरिकों को समानता का अधिकार देने के पथ पर भाजपा नीत सरकार यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में आगे काम करती रहेगी।