
बिहार ब्रेकिंग-कुणाल कुमार-सुपौल

सदर अस्पताल में मरीजों के जान से किस तरह खिलवाड़ किया जाता है इसका बड़ा उदाहरण सामने आया है। दरअसल तीन तारीख की रात भपटियाही को प्रसव पीड़ा हुआ जिसके बाद उसके परिजन उसे नजदीकी अस्पताल भपटियाही लेकर गए लेकिन प्राथमिक उपचार के बाद भपटियाही के डॉक्टर ने प्रसव पीड़ित महिला को सदर अस्पताल रेफर कर दिया जहां उसका इलाज सदर अस्पताल के डॉक्टर द्वारा शुरू किया गया। बताया जाता है कि मौजूद डॉक्टर ने प्रसव पीड़ित महिला सोनी देवी का सदर अस्पताल के पैथोलॉजी में खून और पेशाब सहित अन्य जांच करवाया जिसके बाद डॉक्टर ने जांच रिपोर्ट देखने के बाद उसे बाहर रेफर कर दिया। इधर मरीज के परिजनों की माली हालत ठीक नही थी लिहाजा परिजनों ने सदर बाजार बाजार स्थित एक बड़े निजी नर्सिंग अस्पताल में प्रसव पीड़ित को भर्ती कर दिया जहां उसकी हालत अभी ठीक ठाक है।
बताया जाता है कि निजी नर्सिंग होम में फिर से प्रसव पीड़िता का खून जांच करवाया गया जहां सदर अस्पताल और नर्सिंग होम के जांच में भारी अंतर सामने आया है, जो अस्पताल में व्याप्त लापरवाही की पोल खोल रही है। इतना ही नही, जिले के सबसे बड़े अस्पताल में अगर ऐसी व्यवस्था है तो अन्य अस्पतालो में क्या होगा ये सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। फिलहाल मरीज के परिजन इतनी बड़ी चूक से सदमे में है और भगवान का शुक्रिया कर रहे हैं कि उन्होंने सदर अस्पताल में प्रसव पीड़िता का इलाज नही करवाया वरना एक बड़ा घटना घट सकता था ।
सदर अस्पताल के पैथोलॉजी में प्रसव पीड़िता के खून जांच में बी पॉजिटिव बताया गया है जबकि उसी प्रसव पीड़िता को जब निजी नर्सिंग होम में भर्ती कर खून जांच करवाया गया है तो वहां उसका ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटिव निकला है। जाहिर है जब इतनी बड़ी चूक खून जांच में होगी तो मरीज के जीने की कोई उम्मीद नही बचती अगर उसे गलत ग्रुप का खून चढ़ा दिया जाय। ऐसी स्थिति में मरीज की जान भी जा सकती है । फिलहाल प्रसव पीड़िता का निजी नर्सिंग होम में सिजेरियन किया गया है जहां जच्चा बच्चा दोनो सुरक्षित हैं लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जिले के सबसे बड़े अस्पताल में जब गलत इलाज और होने लगे तो गरीब लोग कहाँ इलाज कराने जाएंगे।