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अयोध्या मामले की सुनवाई के 36 वें दिन की शुरुआत हुई रामलला की ओर से पेश हुए वकील सीएस वैद्यनाथन की दलीलों से सीएस वैद्यनाथन ने अपनी दलीलों से मुस्लिम पक्ष की ओर से उठाए गए सवालों का जवाब दिया। वैद्यनाथन ने कहा कि पुरातत्व विभाग की खुदाई से साफ है कि विवादित ढांचे के नीचे एक विशालकाय मंदिरनुमा ढांचा था और इस तरह से उन्होंने ढांचे के नीचे ईदगाह होने की मुस्लिम पक्ष की दलील को खारिज किया। वैद्यनाथन तस्वीरों के जरिये साबित करने की कोशिश की कि विवादित ढांचे के नीचे पिलर था।
पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में मंदिर के साक्ष्य मिले
वैद्यनाथन की इन दलीलों पर पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल पूछा कि ये कैसे साबित होगा कि ढांचे के नीचे जो खंभों के जो आधार मिले थे वो एक ही समय के हैं? जवाब देते हुए रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि पुरातत्व विभाग में इसका जिक्र है कि 46 खम्भे एक ही समय के हैं। हालांकि इससे पहले मुस्लिम पक्ष अदालत में दलील देकर यह बताने की कोशिश कर चुका है कि जमीन के नीचे से जो खंभे मिले थे वह अलग-अलग वक्त के थे और किसी एक इमारत का हिस्सा नहीं थे। वैद्यनाथन ने अपनी दलीलों से यह बताने की कोशिश की कि खुदाई में मिली कमल की आकृति, सर्कुलर श्राइन, परनाला की उपस्थिति ये साबित करता है कि वह संरचना मंदिर ही थी क्योंकि यह उत्तर भारतीय मंदिरों की विशेषताएं हैं। रामलला के वकील वैद्यनाथन ने अलग अलग सबूतों के जरिये अदालत में यह साबित करने की कोशिश की कि केंद्रीय गुम्बद ने नीचे ही भगवान राम का जन्मस्थान है। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक बार फिर सवाल पूछा कि आपने जिन सरंचनाओं का जिक्र किया है, वो बौद्ध विहार में भी तो हो सकती हैं। आप कैसे ये साबित करेंगे कि वो बौद्ध विहार न होकर मन्दिर ही होगा।
सुनवाई के दौरान वेद, स्मृति और श्रुति के हवाले से राम जन्मभूमि का अस्तित्व बताने की हुई कोशिश
कोर्ट के सवाल का जवाब देते हुए वैद्यनाथन ने कहा कि ये जगह हमेशा हिंदुओं के लिए पवित्र रही है। बौद्धधर्मियों के लिए ये कभी अहम नहीं रही जो इस बात को साबित करता है कि यहां पर मन्दिर ही था। वैद्यनाथन की इस दलील पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आस्था और विश्वास अपने आप में एकदम अलग तर्क है, अलग बहस का विषय हैं। लेकिन हम यहां पुख्ता सबूतों की बात कर रहे हैं जिनसे मन्दिर की मौजूदगी साबित हो सके। कोर्ट के इस सवाल पर वैद्यनाथन ने वेद, स्मृति, श्रुति का हवाला देते हुए कहा कि भारत में इतिहास प्राचीन परंपराओं और रीतिरिवाजों पर आधारित रहा है और इसका दर्ज करने का तरीका पश्चिम से अलग हैं। इस वजह से हमारी प्राचीन सभ्यता पर आधारित इतिहास को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वैद्यनाथन की इस दलील का विरोध करते हुए मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि हम वेद, स्मृति, श्रुति इन सब पर सवाल नहीं उठा रहे हैं। हमारा कहना यह है कि हिंदू पक्ष के गवाहों की गवाही से कभी यह साबित नहीं हो पाया कि 1934 से पहले वहां पर नियमित पूजा हुआ करती थी।