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पूरा देश आज धूमधाम से 73वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस अवसर पर दिल्ली के लालकिला पर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झंडोत्तोलन किया वहीं अन्य सभी सरकारी और गैरसरकारी संस्थानों पर भी झंडोत्तोलन किया जा रहा है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किला पर झंडा फहराने से पहले प्रधानमंत्री महात्मा गांधी के समाधि पर गए एवं उन्हें पुष्पांजलि देने के बाद फिर लाल पर उन्होंने झंडा फहराया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया।

अपने संबोधन के दौरान सबसे पहले उन्होंने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन की शुभकामनाएं दी। आगे उन्होंने कहा कि नई सरकार के गठन का अभी दस सप्ताह भी नहीं हुआ इतने कम समय मे सरकार इतने बड़े बड़े फैसले लेकर देश की भलाई के लिए काम किया है। उन्होंने कहा कि हमने तीन तलाक पर कानून बना कर मुस्लिम बहनों को उनका हक दिलवाया है। वहीं जम्मू कश्मीर से हमने अनुच्छेद 370 और 35ए हटा कर वहां का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किया है। हमने इस कदम से सरदार वल्लभ भाई पटेल की एक भारत का सपना पूरा किया है। अब जम्मू कश्मीर और लद्दाख के नागरिकों की आशा और आकांक्षा पूरी करना हमारा दायित्व है, और इन्हें बल देना हमारी जिम्मेदारी। पिछले 70 वर्षों में इस व्यवस्था ने अलगाववाद को बढ़ावा दिया, आतंकवाद और परिवारवाद को पोसा जिसने भ्रष्टाचार और भेदभाव की नींव को मजबूत करने का काम किया]
उन्होंने किसानों के विकास की भी बात की और कहा कि हमने किसान सम्मान निधि योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपया किसानों के खाते में ट्रांसफर किया है। उन्होंने कहा कि आजकल जल संकट लर चर्चा हो रही है। कहा जाता है कि भविष्य में भयंकर जल संकट आने वाला है इसके लिए हमने जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया और जल संचय की दिशा में केंद्र के साथ साथ राज्यों को भी सहयोग करना पड़ेगा। उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 2019 का कालखंड देश के विकास का खंड है। आने वाले 5 वर्षों के कार्यकाल का खाका तैयार करके हम कदम उठा रहे हैं। जब समाधान हो, संकल्प हो, सामर्थ हो तो सफलता के आड़े कुछ नहीं आ सकता है। देश उस स्वाभिमान के साथ आगे बढ़ने के लिए दृढ़निश्चयी है। जब समस्याओं का सामधान टुकड़ों में नई देखना चाहिए, हमें समस्याओं को जड़ों से खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए।
लाल किला प्राचीर से देश को संबोधित करते प्रधानमंत्री
हमारी मुस्लिम बहनों के सिर पर तीन तलाक की तलवार लटकती थी। वे कभी तीन तलाक की शिकार ना हुई लेकिन कभी भी इसकी शिकार हो सकती है, इसका डर उन्हें जीने नहीं देता था। दुनिया के कई इस्लामिक देशों ने हमसे पहले इसे खत्म कर दिया। लेकिन किसी ना किसी कारण से मुस्लिम महिलाओं को हक देने में हम हिचकिचाते थे। जब हम सती प्रथा, भ्रूण हत्या और दहेज प्रथा के खिलाफ कानून बना सकते हैं तो क्यों ना हम तीन तलाक के खिलाफ आवाज उठाएं। इसलिए लोकतंत्र की भावना को समझते हुए मुस्लिम महिलाओं को समान अधिकार देने के लिए हमने इस महत्वपूर्ण निर्णय को किया। ऐसे फैसले राजनीतिक की तराजू से तौलने के निर्णय नहीं होते हैं, ये सदियों तक महिलाओं के जीवन की गारंटी देते हैं। उन्होंने देश के विकास पर चर्चा करते हुए कहा कि देश विकास करे, सर्वोत्तम बने यह हमारा लक्ष्य है लेकिन किसी के ऊपर उपकार नहीं। इस दौरान दिल्ली समेत अन्य राज्यों में सुरक्षा के चाक चौबंद व्यवस्था किया गया था।