
बिहार डेस्कः अगर आपने फिल्में देखी हैं और फिल्मों में सियासत देखी है तो आपने दिलचस्प कुछ भी नहीं देखा। फिल्मों में सियासत अगर दिखे तो भला दिलचस्प क्या है। राजनीति और राजनीतिज्ञों ने कई बार आवाम को वो मौके दिये हैं कि वो सियासत में फिल्म देख सके। राजनीति जिस तरह से अपना मिजाज बदलती है दरअसल कई बार वहां मनोरंजन पनपता है। अगर आपने सियासत की कलाबाजियों से पनपते मनोरंजन को नहीं देखा तो क्या देखा। उम्मीदों के आसमान पर आवाम ने जिन्हें बिठाया है उन भगवानों ने कई बार चमत्कार किये हैं अब आवाम को नहीं दिखता तो बात अलग है। यह सियासत का हीं चमत्कार रहा है कि दूध पिलाकर गणेश जी का हाजमा बिगाड़ दिया। हां यह जरूर है कि गरीबी मिटाने वाले छोटे-मोटे चमत्कार नहीं हो पाते लेकिन सियासत की जादुगरी देखिए कि दूध देने वाली गाय वोट देने लगी। चमत्कार और जुगाड़ से मिश्रित आविष्कार देश के राजनीतिज्ञों की देन है जिससे वोट बनते हैं। हिंसा के इस दौर में आदमी कई बार जानवर हुआ है जानवर को आदमी बनते अगर आपने नहीं देखा तो देखा? सियासत ने रश्क का मौका दिया है जानवरों को, पहले गाय को अपनी किस्मत पर नाज था अब भैंसे अपने तकदीर पर नाज करेंगी क्योंकि सूबे की सरकार भैंसो पर मेहरबान है। काले-काले भैंस और सरकारी स्विमिंग पूल में नहाते नजर आयेंगे। सरकारी फरमान है भाई इसलिए फुल गारंटी है कि भैंस पर रूआब चढ़ेगा क्योंकि सरकार हीं भैंसों के आगे चुनावी बीन बजा रही है।https://youtu.be/mK5ugP2go98बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा है कि भैंसों के लिए तालाब का इंतजाम होना चाहिए क्यांंकि अगर वो पानी में नहीं लोटेंगे तो फिर कैसे जिएंगे। सीएम के इस बयान के बाद भैंसों की गर्मी दूर हो न हो लेकिन राजनीति की गर्माहट बढ़ जाएगी। बिहार में 14 प्रतिशत यादव वोटबैंक है और भैंस का दूध उनके आय का मुख्य श्रोत है। चुनावी मौसम में सियासत ने सेंधमारी की कवायद शुरू की है। देखना दिलचस्प होगा कि बिहार में भैंस वोटों का कितना उत्पादन करती है और सरकार जो चुनावी बीन भैंसों के आगे बजा रही है उसका क्या असर होता है।
