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हिन्दुस्तानी अवाम मोचा (से) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मॉंझी ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह में बच्चों के साथ यौन शोषण मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा राज्य सरकार की लापरवाही को देखते हुए की गई टिप्पणी पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नैतिकता के आधार अपने कर्तव्य निर्वहन में हुई चूक की सारी जवाबदेही लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की मांग की है। श्री मांझी ने कहा कि शेल्टर होम में बच्चियों के साथ हुए दुष्कर्म एवं एक बच्ची की मृत्यु होने के मामले में दोषियों को बचाने के लिए सरकार के इशारे पर बहुत ही चतुराई से धाराएं लगाई गई हैं और केस को कमजोर बनाया गया है। श्री मांझी ने कहा कि शेल्टर होम में जो घटना घटी वो बड़ी घटना थी। शेल्टर होम की घटना को प्रशासन द्वारा राज्य सरकार के इशारे पर प्रशासन ने एक छोटा मोटा मारपीट का मामला बना दिया गया, जबकि पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत केस दर्ज होना चाहिए था। श्री मांझी ने कहा कि भारत के इतिहास में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार के शासन में ही कानूनी व्यवस्था के खिलाफ देश की आजादी के बाद पहली बार माननीय सर्वोतम न्यायालय की टिप्पणी आया है। ऐसी टिप्पणी आज तक पुरे देश में किसी भी दूसरे राज्य के विरूद्व नहीं आई होगी। बिहार में नीतीश कुमार के शासन में सिर्फ निर्दोषों को सजा दिलाने प्रशासन पूरी मुस्तैदी दिखाता है। इस राज्य में सरकार दोषियों को बचाती है और अपराधियों को संरक्षण देती है। श्री मांझी ने कहा कि यह कैसी सरकार चल रही है जिसमें माननीय उच्चतम न्यायालय में राज्य सरकार की गलती के कारण सरकारी वकील को अपनी सरकार की गलती स्वीकार करते हुए माफी मांगनी पड़ती है।
श्री मांझी ने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा शेल्टर होम कांड को लेकर इतना तक कह दिया की बिहार सरकार के शेल्टर होम में घटित घटना को देखते हुए रोगटे खड़ा हो जाते है और सरकार दोषियों को बचाने में लगी है अपने आप में कितनी बड़ी बात है इस घटना को राज्य सरकार अभी भी हल्के में ले रही है। श्री मांझी ने कहा कि सरकारी वकील द्वारा माफी मॉंगते हुए संबन्धित मामलों में 377 एवं कानूनी प्रावधानों को जुर्माना देंगे। कोर्ट ने यहॉं तक कहा कि एक बच्चे के साथ कुकर्म हुआ और आप कह रहे हैं कि जे.जे. बोर्ड ने अपना काम ठीक नहीं किया। कोर्ट ने मुख्य सचिव से पुछा यौन उत्पीड़न का आरोप अपराध की प्रकृति में गंभीर होगा या मामुली? पुलिस एफआईआर करते समय यह कैसे कह सकती है कि अपराध गंभीर नहीं है। ये पूरी एफआईआर की बातें पकी पकाई साजिश लगती है। जिससे सरकार का सर झुक गया। श्री मांझी ने कहा कि एक बच्चे के गला पर तीन इंच का दाग है वहॉं धारा 325 नहीं लगाई गई। 17 सेल्टर होम के बच्चे के लिए गंभीर चिंता का विषय में चिन्हित किया गया। जिसमें 5 अच्छे मानकों की बनाय रखने के लिए सराहना की गई और 9 बालगृहों में यौन शोषण की बात कही गई। उसमें केवल 5 पर ही एफआईआर दर्ज किया गया। इस सब टिप्पणी से स्पष्ट है की सरकार ने अपनी जानकारी में दोषी को बचाने का पूरा प्रयास किया गया है। श्री मांझी ने कहा कि नीतीश सरकार का पोल खुल गया है। इन्हें जरा भी नैतिकता शेष बची हो तो अपने मुख्यमंत्री पद से अविलंब इस्तीफा दें।