
बिहार ब्रेकिंगः बिहार में उस बयान पर सियासी बवाल मचा है जो दरअसल दिया हीं नहीं गया। दरअसल बिहार के सियासी गलियारों में हंगामा है कि सीएम नीतीश कुमार ने रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा को ‘नीच’ कह दिया है। दरअसल हम जितनी पड़ताल कर पाये हैं और जो निष्कर्ष निकाल पाएं हैं वो यही है कि नीतीश कुमार ने उपेन्द्र कुशवाहा को नीच कहा हीं नहीं है। दरअसल मंच था ‘इंडिया टूडे के ‘स्टेट ऑफ द स्टेट कॉन्क्लेव’ का। नीतीश कुमार से उपेन्द्र कुशवाहा को लेकर सवाल पूछा गया। उन्होंने कहा कि स्टैंडर्ड को इतना नीचे मत ले जाईए आगे बढ़िए। उन्होंने एंकर को यह सलाह भी दी कि चूकि यह मंच विकास पर आधारित बहस का मंच है इसलिए उसे से जुड़े सवाल किये जाएं।

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यह नीतीश कुमार की पुरानी राजनीतिक शैली है वो राजनीतिक बयानों से ऐसे मंचो पर बचते रहे हैं। स्टैंडर्ड नीचे ले जाने से उनका मतलब यह भी हो सकता है कि बहस का विषय न बदला जाए और भटक कर सवाल सीटों और सियासत पर न केन्द्रित कर दिया जाय। नीतीश कुमार ने कभी भी अपने राजनीतिक विरोधियों के लिए ओछे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया यह उनके राजनीतिक अतीत के अध्ययन से भी समझा जा सकता है। नीतीश कुमार ने उस दौर में भी कभी अपनी मर्यादा नहीं लांघी जब नरपिशाच और डीएनए की गड़बड़ी सब सियासत के बयानों में आ गया था। ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है थोड़ा फ्लैशबैक में जाईए और 2015 का बिहार विधानसभा चुनाव याद कीजिए। तब नीतीश कुमार बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे। और उस दौर में राजनीतिक बयान तमाम मर्यादायों को लांघ कर दिये जा रहे थे। सियासत के शब्द अनुशासन की सीमा अक्सर लांघ जाते लेकिन नीतीश कुमार ने तब भी कोई मर्यादा नहीं लांघी। फिर सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार के बयान पर इतना हंगामा क्यों है। स्पष्ट रूप से नीतीश कुमार ने उपेन्द्र कुशवाहा को नीच नहीं कहा तो फिर बयान पर बवाल क्यों है? पूरा वीडियो देखकर भी यह समझा जा सकता है कि हकीकत क्या है और सियासत में कैसे बयानों के मतलब निकाल लिये जाते हैं जिससे राजनीति गरमा जाती है।