
गन्ने से तरक्की: बिहार में मीठा क्रांतिकाल शुरू, वर्ष 2026 तक 9 इथेनॉल फैक्ट्रियां खुलेंगी। टिशु कल्चर से गन्ने के बीज उत्पादित होंगे।
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बिहार का गन्ना उद्योग आज नए युग में प्रवेश कर चुका है। परंपरा और नवाचार के संगम से यह क्षेत्र न केवल किसानों की आय बढ़ा रहा है, बल्कि इथेनॉल, गुड़ और आधुनिक प्रसंस्करण के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे रहा है। बिहार का गन्ना उद्योग पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर हरित ऊर्जा की राह पर है। किसानों को समय पर भुगतान, उन्नत बीज, इथेनॉल व गुड़ इकाइयों का विस्तार, यह सब मिलकर बिहार को “गन्ने से समृद्धि” की राह पर आगे बढ़ा रहे हैं।
भुगतान में पारदर्शिता, योजनाओं पर सख्ती
हाल में विकास भवन में हुई उच्चस्तरीय बैठक में गन्ना उद्योग मंत्री कृष्णनंदन पासवान ने सभी चीनी मिलों को चेतावनी दी कि किसान भुगतान में किसी तरह की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अब तक 99.8 प्रतिशत गन्ना भुगतान किया जा चुका है। मंत्री ने मुख्यमंत्री गन्ना विकास योजना, यंत्रीकरण योजना और बिहार गुड़ प्रोत्साहन योजना को तेजी से लागू करने का निर्देश दिया।
शोध और बीज उत्पादन में क्रांति
राज्य में ऊंची उत्पादकता वाले बीज तैयार किए जा रहे हैं, जिससे गन्ना उत्पादन में तेजी आएगी और किसानों को लाभ मिलेगा। टिशू कल्चर से गन्ने के उन्नत बीज उत्पादित किए जाएंगे। इसके साथ ही गुड़ उत्पादन को भी सहायता मिल रही है। बिहार अब इथेनॉल उत्पादन में भी अव्वल साबित हो रहा है। बिहार में वर्ष 2026 तक 9 इथेनॉल फैक्ट्रियां खुलने जा रही है।
बिहार का गन्ना उद्योग पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर नवाचार, औद्योगीकरण और हरित ऊर्जा की राह पर है। किसानों को समय पर भुगतान, उन्नत बीज, इथेनॉल व गुड़ इकाइयों का विस्तार – यह सब मिलकर बिहार को “गन्ने से समृद्धि” की राह पर आगे बढ़ा रहे हैं।