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शिक्षा विभाग, बिहार सरकार एवं NGO प्रथम द्वारा संचालित “कमाल का कैंप समर कैंप 2025” पूरे राज्य में गर्मी की छुट्टियों के दौरान बच्चों की बुनियादी साक्षरता और गणितीय समझ को मजबूत करने के लिए सफलतापूर्वक चल रहा है। यह अभियान 2 जून से 20 जून तक चलाया जा रहा है, जिसमें कक्षा 5 से 6 में प्रवेश कर रहे बच्चों के साथ-साथ कक्षा 4 से 7 तक के सभी इच्छुक विद्यार्थियों को भाग लेने का अवसर दिया गया है।
समर कैंप का उद्देश्य प्राथमिक कक्षाओं में सीखने की बुनियाद को फिर से खड़ा करना है, विशेष रूप से उन बच्चों के लिए जिन्होंने कोविड महामारी के कारण शुरुआती कक्षाओं में सीखने में अंतराल का सामना किया। गर्मियों की छुट्टी इस काम के लिए सबसे अनुकूल समय है, जिसमें बच्चों के साथ व्यक्तिगत और लक्षित रूप से काम किया जा सकता है।
“Teaching at the Right Level” जैसी रणनीतियाँ और स्थानीय युवाओं की भागीदारी इस प्रयास को और प्रभावशाली बना रही हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी सहपाठी शिक्षण और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देती है, जिसे इस अभियान में सफलतापूर्वक अपनाया गया है।
इस अभियान में NGO प्रथम के साथ 1,42,788 युवा वालंटियर पंजीकृत होकर अपने मोहल्ले या गांव के 8-10 बच्चों के साथ प्रतिदिन डेढ़ घंटे सुबह या शाम को मिलते हैं। उन्हें वॉट्सएप पर दैनिक ऑडियो मैथ्स स्टोरी, गतिविधियों से युक्त पुस्तिका, और कहानियों के माध्यम से बच्चों को गणितीय अवधारणाएं सिखाने हेतु संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं।
इस प्रयास का नेतृत्व शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ कर रहे हैं, जिनके सतत मार्गदर्शन और प्रेरणा से यह कार्यक्रम राज्य के प्रत्येक सरकारी विद्यालय तक पहुंच रहा है। डॉ सिद्धार्थ ने कहा: “समर कैंप बच्चों के लिए न केवल सीखने का माध्यम है, बल्कि उन्हें नए शैक्षणिक सत्र के लिए तैयार करने का अवसर भी है। बच्चों को कहानी, खेल और अनुभव के माध्यम से सीखने में मज़ा आ रहा है और यह देखना सुखद है कि पूरे बिहार में शिक्षा एक उत्सव बन रही है।”
इस संदर्भ में आज प्रथम संस्था की CEO डॉ. रुक्मिणी बनर्जी ने पटना के दो विद्यालयों, कंकड़बाग मध्य विद्यालय और बाबूगंज गुलजारबाग विद्यालय का दौरा किया। उन्होंने बच्चों के साथ समर कैंप की गतिविधियों में भाग लिया और देखा कि कैसे बच्चे चाय, साड़ी, भात, दाल, चोखा जैसे रोज़मर्रा के शब्दों में छुपे गणित को खोजकर सीख रहे हैं।
बच्चों ने अपनी मज़ेदार गणितीय कहानी “नानी का घर” भी लिखी और सवाल पूछे:
“बताइए न, बताइए न… सब कोई चल गया, एगो लटक गया… बताइए क्या होता है?” जिससे पूरे कैंप में हंसी और आनंद का माहौल बन गया।
शिक्षा विभाग, बिहार सरकार का यह प्रयास न केवल बच्चों को बेहतर शिक्षण अनुभव दे रहा है, बल्कि समुदाय की भागीदारी को भी सक्रिय रूप से जोड़ रहा है, जिससे एक स्थायी शिक्षण सहयोग तंत्र का निर्माण हो रहा है।