
जल-जीवन-हरियाली अभियान ने दिखाया रंग। गंभीर भूजल संकट का सामना करने वाले दक्षिण बिहार में तेजी से सुधर रहा है भूजल का स्तर। वर्ष 2023-24 में स्वीकृत कुल 2377 में से 2266 योजनाएं पूर्ण। इस अभियान को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिल चुके हैं कई पुरस्कार।
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वर्ष 2019 के जलसंकट के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के सभी 38 जिलों में भूजल को संरक्षित करने और बारिश के पानी को संग्रहित कर उसका इस्तेमाल सिंचाई के साथ-साथ दैनिक कार्यों में किए जाने का जो अभियान शुरू किया था, अब उसके सुखद परिणाम सामने आ चुके हैं। भूजल संकट का सामना करने वाले राज्य के जमुई और गया की पहाड़ियों और जंगलों में एकबार फिर से हरियाली लौट आई है। साथ ही, हर साल गंभीर जलसंकट का सामना करने वाले दक्षिण बिहार के सभी जिलों में भूजल का स्तर बेहतर हुआ है।
यह स्वर जल-जीवन-हरियाली दिवस के मौके पर बुधवार को जल भवन में लघु जल संसाधन विभाग द्वारा आयोजित एक परिचर्चा में निकलकर आए हैं। परिचर्चा का विषय था। सार्वजनिक जल संचयन संरचनाओं का जीर्णोद्धार एवं छोटी-छोटी नदियों, नालों और पहाड़ी क्षेत्रों में चेक डैम का निर्माण। इस परिचर्चा में राज्य सरकार के 15 विभागों के अधिकारी के साथ विशेष आमंत्रण पर केंद्रीय भूगर्भ जल बोर्ड पटना के अधिकारियों ने भी शिरकत की। परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए।
जल-जीवन-हरियाली मिशन की निदेशक प्रतिभा रानी ने कहा कि इस मिशन में शामिल सभी विभागों ने काफी अच्छा काम किया है। इस अभियान को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार भी मिले हैं। बता दें कि माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2019 के जल संकट के बाद 2 अक्टूबर, 2019 से जल जीवन-हरियाली अभियान शुरू किया था।
लघु जल संसाधन विभाग के अभियंता प्रमुख सुनील कुमार ने परिचर्चा में कहा कि लघु जल संसाधन विभाग के द्वारा जल-जीवन-हरियाली अभियान एवं हर खेत तक सिंचाई का पानी के तहत कई कार्य कराए जा रहे हैं। इनमें अतिक्रमण मुक्त सार्वजनिक जल संचयन संरचनाओं, जैसे एक एकड़ रकवा से बड़े आहर-पईन और पांच एकड़ रकवा से बड़े पोखरों व तालाबों को चिन्हित कर उनका जीर्णोद्धार शामिल है। उन्होंने कहा कि 2000 हेक्टेयर तक कमांड क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए वीयर और चेकडैम का निर्माण कराया जा रहा है। अभियंता प्रमुख ने कहा कि राज्य के पठारी क्षेत्रों में बड़े-बड़े जल निकायों का निर्माण कराया जा रहा है। पहाड़ों की तलहटी के चारों ओर गारलैंड ट्रैंच का जीर्णोद्धार और निर्माण कार्य जारी है। उन्होंने कहा कि इसमें
जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत लघु जल संसाधन विभाग को अवयव-2 अंतर्गत पांच एकड़ रकवा से बड़े पोखरों एवं एक एकड़ से बड़े आहर-पईन का जीर्णोद्धार भी शामिल है। जबकि अवयव-5 के तहत छोटी-छोटी नदियों और नालों पर जल संचयन के उद्देश्य से 2000 हेक्टेयर तक कमांड क्षेत्र वाले चेकडैम व वीयर का जीर्णोद्धार और निर्माण कार्य कराने का दायित्व भी उनके विभाग को दिया गया है। उन्होंने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 तक कुल 2377 योजनाएं स्वीकृत की गईं हैं। जिनमें 2266 योजनाएं पूर्ण की जा चुकी हैं। अबतक पूर्ण योजनाओं से कुल 2,37,473 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई क्षमता को पुनर्स्थापित किया जा चुका है। साथ ही 992 लाख घनमीटर जल संचयन क्षमता पुनर्स्थापित की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल 139 योजनाओं को प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है।
इन योजनाओं के पूर्ण होने से कुल 25,822 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता के पुनर्स्थापन के साथ-साथ राज्य में जल संचयन क्षमता भी बढ़ेगी। इस परिचर्चा में केन्द्रीय भूगर्भ जल बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक राजीव रंजन शुक्ला, कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक शशिशेखर मंडल, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की उप निदेशक नीना झा, भवन निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता विनोद चौधरी, और ऊर्जा विभाग के अधीक्षण अभियंता प्रदीप कुमार ने जल-जीवन-हरियाली अभियान से जुड़ी अपने-अपने विभागों की उपलब्धियों की चर्चा की।