
बिहार डेस्कः एक बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। मरीजों की जिंदगी से खेलने वाले दवा एजेंसियों को दुबारा लाइसेंस दे दिया गया और यह तब हुआ जब इन दवा एजेंसियों छापेमारी कर भारी मात्रा में नकली और एक्सपायरी दवाएं बरामद करने वाले ड्रग इंस्पेक्टर ने स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव और एसएसपी को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा कि इन एजेंसियों ने भारी गड़बड़ी की है इन पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इस गड़बड़झाले को लेकर पटना हाईकोर्ट के वकील मणीभूषण प्रताप सेंगर ने एक जनहित याचिका दायर की है और पूरे मामले की न्यायिक जांच और सीबीआई जांच कराने की मांग की मांग की है। मनीभूषण सेंगर ने बताया कि वर्ष 2017 में महालक्ष्मी मेडिसीन एंजेंसी और श्री हनुमान मेडिसीन एजेंसी में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा छापा मारा गया था। स्वास्थ्य विभाग के ड्रग इस्पेक्टर सचिदानंद राय ने छापा मारा था। छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में नकली दवाएं एक्सपायरी डेट की दवाएं और वैसी दवाएं जिनपर ज्यादा दाम का स्टीकर चिपकाया गया था बरामद हुई थी। इन दोनों दवा एजेंसियों का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था और पीरबहोर थाने में एफआईआर दर्ज कराया गया था। 29 नवंबर 2017 को ड्रग इंस्पेक्टर सच्चिदानंद राय ने बिहार के स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव और एसएसपी को जांच रिपोर्ट भेजी। अपनी जांच रिपोर्ट में सच्चिदानंद राय ने लिखा कि इन लोगों के यहां नकली और एक्सापयरी दवाएं पायी गयी है। इन लोगों ने दवा बिक्री में काफी अनियमितता बरती है इसलिए इनपर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने महज 30 दिनों के लिए इन एजेंसियों का लाइसेंस रद्द किया और 31वें दिन से वे फिर कार्य करने लगे। पहले भी इनपर ऐसे केस हो चुके हैं जिनमें इन एजेंसियो को गलत पाया गया था। फिर इन एजेंसियों को कैसे लाइसेंस निर्गत किया गया? इसकी न्यायिक जांच और सीबीआई जांच की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की है।
