बिहार ब्रेकिंगः साल 2010 में एक फिल्म रिलीज हुई थी, नाम था ‘पीपली लाइव’। फिल्म अपने एक गाने की वजह से भी खासी लोकप्रिय हुई थी। गाना था ‘मंहगाई डायन खाय जात है’। इसी के बाद देश ने जाना की मंहगाई डायन है। देश की एक बड़ी आबादी की हसरतें इस डायन की खुराक बन रही है। आकलन मुश्किल है कि 2010 और आज के दौर के बीच मंहगाई कितनी बढ़ी है। हां यह तय है कि अब मंहगाई सिर्फ डायन नहीं रही है। फिल्म आज बनती तो ज्यादा मेहनत करनी पड़ती क्योंकि मंहगाई के लिए और भारी भरकम शब्द ढूंढना पड़ता। क्योंकि मंहगाई और उस पर सरकार की लाचारी दोहरी मुसीबत है। खासतौर पर डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दाम चुनावी मौसम में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकती है। क्योंकि मंहगाई पर आक्रोशित आवाम ने अपना मूड बदला तो मंहगाई डायन बीजेपी की सीटें भी खा सकती है। लोक जनशक्ति पार्टी किसान प्रकोष्ठ बिहार के प्रदेश अध्यक्ष रितेश कुमार सिंह ने कहा कि-‘देश में महंगाई एक बहुत बड़ी चिंता का विषय बन गई है खासतौर पर डीजल और पेट्रोल की हमारी वर्तमान सरकार यदि तत्काल इस मामले में कोई कदम नहीं उठाती है तो संभव है कि इससे एक बहुत बड़ा जनाधार प्रभावित होगा क्योंकि गगनचुंबी रेट में बढ़ोतरी होती चली जा रही है पेट्रोल और डीजल की कीमत सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता चला जा रहा है और दूसरी एक आज अनाजों का समर्थन मूल्य बढ़ाया गया गेहूं के समर्थन मूल्य में भी 105 की वृद्धि की गई यह सरकार का एक सराहनीय कदम है परंतु वह अनाज कहां बिकेंगे इसके लिए सरकार ने अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की है. जबकि हमने बहुत पहले मांग रखी थी की हर प्रखंड मुख्यालय के आसपास आबादी के दृष्टिकोण से एक सरकारी अनाज क्रय केंद्र तत्काल खोला जाए यहां किसान आसानी से अपना अनाज बेचकर उसका मूल्य आसानी से प्राप्त कर सकें दूसरी ओर बाद किसानों पर किसी भी प्रकार का अत्याचार उचित नहीं है सरकार के लिए भी और देश के भविष्य के लिए भी सस सबसे बड़ी बात है वह सरकार खुद को गरीबों का मसीहा बताने में लगी है उसको मैं बताना चाहता हूं किसान एक ऐसी जाती है जिसमें सभी जातियां समाहित है किसान चाहे छोटा हो या बड़ा वह उसके सहारे अपने सिर्फ जीविका ही नहीं अपने भविष्य को भी बनाता है इसलिए हमारा सरकार से आग्रह है की तत्काल किसानों के हित में कोई अहम फैसला लेने का काम करें अन्यथा बहुत कुछ कहना संभव नहीं है हम एनडीए सरकार के साथ हैं परंतु गलत कार्यों की विरोध में खड़ा रहना मेरी आदत है मैं किसान का बेटा हूं और सर्वप्रथम में किसानों के साथ हो और किसानों के लिए आगे भी लड़ाई लड़ता रहूंगा सस हमारे देश की आत्मा किसानों के घरों में बसते हैं हमारे देश का विकास तभी संभव है जब देश के सभी किसानों का विकास हुआ अगर यह संभव नहीं है तो देश में चाहे जितनी बड़ी टेक्नोलॉजी का विस्तार किया जाए देश को भी विकसित नहीं है सस हमारे देश में कुल आबादी का 60 से 70ः आबादी अधिकतम कृषि पर निर्भर है और इनमें से ज्यादा से ज्यादा किसान है जो सिर्फ कृषि पर निर्भर है! कैसे संभव है कि जब इतनी बड़ी आबादी तकलीफ में रहेगी तो देश आगे बढ़ेगा। मैं सरकार से और सभी सहयोगियों से आग्रह करता हूं पर यथाशीघ्र विचार किया जाए अन्यथा कुछ कहा नहीं जा सकता।
