
उपेन्द्र कुशवाहा अब पूरी तरह से सीएम नीतीश कुमार से अलग हो गये हैं । या यूँ कहें कि जो जदयू के साथ जुड़ाव की आखिरी कड़ी थी, उससे भी इस्तीफा उन्होंने शुक्रवार को दे दिया है। दरअसल अब उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार विधानपरिषद के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है। जदयू में आने के बाद उन्हें एमएलसी बनाया गया था। हालांकि वे विधानपरिषद के मनोनीत सदस्य थे।

आपको बता दें कि सीएम नीतीश कुमार के एक समय काफी करीबी रहे उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी उनसे विवादों के बाद राष्ट्रीय लोक जनता दल का गठन कर लिया है। अपने पद से इस्तीफा देने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार की कुर्सी उन्हीं को मुबारक। मैंने कभी जमीर बेचकर अमीर बनने की कोशिश नहीं की। इस पद पर जनता के लिए ही आया था। इस पद पर कुछ करने को रह नहीं गया था।अब इस्तीफा देकर लोगों के बीच जाऊंगा।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि वह यात्रा शुरू कर रहे हैं। कौन-कौन साथ आएंगे यह दिख जाएगा। वहीं ट्वीट कर कुशवाहा ने लिखा- “आज मैंने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा सौंप दिया। मन अब हल्का है। चक्रव्यूह से बाहर आ जाने की सुखद अनुभूति हो रही है। याचना का परित्याग कर रण के रास्ते पर निकल पड़ा हूं।
कुशवाहा ने कहा कि जिस दिन मैंने पार्टी की घोषणा की थी। उसी दिन हमने कहा था कि एमएलसी पद से भी इस्तीफा देंगे। निर्णय मेरा उसी दिन था. सभापति नहीं थे। उसी दिन मैंने फोन पर उनसे संपर्क भी किया था। वो बिहार से बाहर थे। शुक्रवार को वक्त मिला। उसके अनुसार विधान परिषद की सदस्यता से उन्हें इस्तीफा सौंप दिया।
उपेंद्र कुशवाहा ने इस दौरान कहा कि राजनीति में वें व्यक्तिगत सुख सुविधा के लिए नहीं हैं। बल्कि जनता के लिए हैं। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा- “बार-बार कहा जा रहा था कि बड़ी कृपा कर दी गई एमएलसी पद देकर। उपेंद्र कुशवाहा किसी की कृपा के तले व्यक्तिगत सुख सुविधा के लिए नहीं रह सकता है यह बात तो पहले ही से लोगों को मालूम है। राज्यसभा की सदस्यता सौंपते हुए भी हमने यही कहा था।