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राष्ट्रपति पद की एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को शिकस्त दे भारत गणराज्य की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं। द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनने के साथ ही भारत की सबसे युवा, पहली महिला आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति भी बनने का गौरव प्राप्त किया। मुर्मू की जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत एनडीए के नेताओं ने मुर्मू को जीत की बधाई दी। विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने भी मुर्मू को जीत की बधाई दी।
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ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से करीब 300 किलोमीटर दूर एक गांव मयूरभंज के एक संथाल परिवार में 20 जून 1958 को जन्मी मुर्मू ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव से ही पूरी की। मुर्मू ने अपनी कैरियर की शुरुआत एक शिक्षिका के रूप में शुरू की। बाद में फिर उन्होंने ओडिशा के सिंचाई विभाग में एक कनिष्ठ सहायक यानी क्लर्क के पद पर भी नौकरी की। द्रौपदी मुर्म के पति और 2 बेटों का निधन हो जाने के बाद उन्होंने अपने घर को एक बोर्डिंग स्कूल में बदल दिया। जहां आज भी स्कूल संचालित किया जाता है।
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राजनीतिक करियर की शुरुआत मुर्मू ने 1997 में अधिसूचित क्षेत्र परिषद में एक निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ और जीत कर की। इसके बाद फिर वे पीछे मुड़ कर नहीं देखी और लगातार सफलता उनकी कदम चूमती रही। इसके साथ ही उन्होंने भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। साथ ही वह भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं।
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द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में बीजेपी के टिकट पर दो बार विधायक बनीं। ओडिशा में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और भाजपा गठबंधन की सरकार में द्रौपदी मुर्मू को 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री बनाया गया। द्रौपदी मुर्मू मई 2015 में झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गई थीं। उन्होंने सैयद अहमद की जगह ली थी। झारखंड हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस चीफ जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल पर की शपथ दिलाई थी। झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का खिताब भी द्रौपदी मुर्मू के नाम रहा। साथ ही वह किसी भी भारतीय राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली आदिवासी हैं।