
अभिषेक मिश्रा-समाचार संपादक

हिन्दी दिवस है आज। अचानक यह सवाल जेहन में कौंध गया कि क्या आज हीं दिन हिन्दी याद आनी चाहिए। हिन्दी तो घरों के चिराग जलाती है, हिन्दी घरों के चूल्हे जलाती है। हिन्दी हिन्द की भाषा है, हिन्दी तो हिन्दुस्तान की भाषा है हिन्दी तो हमारी मातृभाषा है फिर हिन्दी की उपयोगिता पर रोज बात होनी चाहिए। हिन्दी के आंचल में न जाने कितने पले-बढ़े और महान हो गये। हिन्दी से कर्ज लेकर शब्दों की बाजीगरी दिखाने वाले न जाने कितने गीतकार, कवि दौलत और शोहरत दोनों कमायी और आज भी कमा रहे हैं। हिन्दी ज्ञान की भाषा है, हिन्दी आंदोलन की भाषा है। हिन्दी इन्कलाब की भाषा है। हिन्दी शांति की भाषा है हिन्दी क्रांति की भाषा है। संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी का भाषण देकर दुनिया को हिन्दी की महत्ता का एहसास दिलाने वाले हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आज हमारे बीच नहीं है लेकिन मां हिन्दी के आंचल में रहकर जिस शब्दों में जो सम्मोहन उन्होंने पैदा किया वो बताता है कि हिन्दी भाषा नहीं परिभाषा है जीवन में सफलता का, उर्जा का। मां हिन्दी का कर्ज न कोई चुका पाया है और न कोई चुका पाएगा। हिन्दी ने हिन्द को सींचा है। शब्दों के फूल पूरे हिन्दुस्तान में बिखरे पड़े हैं जो अनंत काल तक खुशबू बिखेरते रहेंगे। हिन्दी के योगदान उसकी जरूरत को शब्दों के दायरे में समेट देना मां हिन्दी का कोई विलक्षण प्रतिभा का धनी बेटा भी यह कारनामा नहीं कर सकता। शब्दों के समंदर में पानी की बूंद नांपने का अंदाजा भला कौन लगा पाएगा। हिन्दी से शोहरत बटोरने वालों की गिनती नामूमकिन है और जो दौलत बटोरी गयी उसे गिनना नामूमकिन है। हन्दी जवाब है, हिन्दी सवाल और हिन्दी क्रांति की मिशाल है। हिन्दी से भला किसी का क्या मुकाबला। हिन्दी न जाने कितने घरों के चूल्हों की जान है, न जाने कितनों का स्वाभिमान है अरे हिन्दी तो हम सबका अभिमान है। हिन्दी बेजोड़ है। हिन्दी एक भाषायी चमत्कार है जिसकी चारो ओर जय जयकार है। हिन्दी तो हिन्दुस्तान के चमन का फूल है, हिन्दी हमारा वसूल है। हिन्दी दौलत की भाषा है, शोहरत की भाषा है अरे हिन्दी तो करोड़ों की भाषा है क्योंकि लोगों ने करोड़ो कमाये हैं। हिन्दी सत्ता की भाषा है, सियासत की भाषा है, हिन्दी लोकतंत्र की भाषा है इसलिए मां हिन्दी को प्रणाम। अपने आंचल बैठाकर मां हिन्दी शोहरत की जरूरतें भी पूरी करती है और दौलत की जरूरतें भी पूरी करती है। हिन्दी है, हिन्दुस्तान है जैसे देश वैसे हिन्दी महान है।