
मुख्यमंत्री ने बिहार विधानमंडल के विस्तारित भवन स्थित सेंट्रल हॉल में प्रबोधन कार्यक्रम को किया संबोधित
बिहार ब्रेकिंग

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज बिहार विधानमंडल के विस्तारित भवन स्थित सेंट्रल हॉल में विधानमंडल सदस्यों लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित किया। प्रबोधन कार्यक्रम का विषय था ‘लोकतंत्र की यात्रा में विधायकों का उन्मुखीकरण एवं उत्तरदायित्व’। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के इस विशेष कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जी का विशेष तौर पर अभिनंदन करता हूं। खुशी की बात है कि आज बिहार विधानमंडल के सदस्यों का प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जिसका विषय है ‘लोकतंत्र की यात्रा में विधायकों का उन्मुखीकरण एवं उत्तरदायित्व बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी वर्ष एवं स्थापना दिवस के अवसर पर यह कार्यक्रम संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, लोकसभा तथा बिहार विधानसभा सचिवालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित की गई है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा जी को बधाई देता हूं।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2006 में पहला प्रबोधन कार्यक्रम हुआ था जिसमें तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष श्रद्धेय सोमनाथ चटर्जी जी, स्व मारगेट अल्वा जी शामिल हुई थी। उस समय बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी थे। वर्ष 2011 के दूसरे प्रबोधन कार्यक्रम में उस समय के लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष स्व अरुण जेटली शामिल हुए थे। तीसरे प्रबोधन कार्यक्रम में संसदीय मामले के विशेषज्ञ जेसी मल्होत्रा शामिल हुए थे। आज के चौथे प्रबोधन कार्यक्रम में लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला जी शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि 22 मार्च 1912 को बंगाल से बिहार और उड़ीसा अलग हुआ था और 1920 में इसे पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था। 7 फरवरी 1921 को विधानमंडल की पहली बैठक हुई थी। विधानमंडल भवन के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि अक्टूबर 2021 में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद शामिल हुए थे। उन्होंने उस समय बिहार विधानसभा परिसर में शताब्दी स्मृति स्तंभ का शिलान्यास किया था और बोधगया से लाये गये पवित्र बोधिवृक्ष के शिशु पौधे का रोपण किया था। 22 मार्च 2011 को शताब्दी वर्ष कार्यक्रम का आयोजन हुआ था जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल शामिल हुई थी, उस समय विधान परिषद् के सभापति ताराकांत झा थे, जिन्होंने इस आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 3 मई 2011 को पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम साहब ने व्याख्यान दिया था। उन्होंने कहा कि 20 जनवरी 1913 को विधानमंडल की पहली बैठक पटना कॉलेज के सेमिनार हॉल में आयोजित की गई थी। 20 जनवरी 2012 को उसी स्थल पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। स्व ताराकांत झा जी ने विशेष प्रयास कर यहां के पुराने ऐतिहासिक साक्ष्यों का मंगाया था जिसे कई चीजों की जानकारी मिली।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता प्रतिनिधि चुनकर भेजती है इसलिए जनप्रतिनिधियों को जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरना होता है। निर्वाचन के बाद शपथ के समय विधायकों को विधायी कार्यों की जानकारी से संबंधित कागजात दिया जाता है ताकि उन्हें आगे काम करने में सहूलियत हो। उन्होंने कहा कि विधायकों को अपने क्षेत्र के दायित्व के साथ-साथ राज्य का भी दायित्व संभालना होता है। सांसदों को अपने संसदीय क्षेत्र के साथ-साथ देश का भी दायित्व संभालना होता है। विधानमंडल सत्रों के दौरान सभी विधायक, विधान पार्षद अपने-अपने क्षेत्रों की बातों एवं समस्याओं को निर्भीक होकर ठीक ढंग से रखें। पूरी बुलंदी के साथ अपनी बात को सदन में रखना उनका दायित्व है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1989 में हम लोकसभा पहुंचे और केंद्र सरकार में मंत्री बने। लोकसभा के सदस्य के रूप में कई चीजों को मुझे सीखने और समझने का मौका मिला। उस समय पक्ष-विपक्ष में कितना भी वाद विवाद सदन के अंदर होता था लेकिन संसद के बाहर सेंट्रल हॉल में आपस में हमलोग स्नेहपूर्वक मिलकर बातचीत करते थे। संसद के कई सदस्यों से बातचीत के दौरान मुझे ऐसा महसूस होता था कि उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों की गहन जानकारी है। उन्होंने कहा कि आपस में बातचीत करने से ज्ञान बढ़ता है। हम सभी को मिलकर राज्य एवं देश की सेवा करनी है एवं जनता की समस्याओं का समाधान करना है। आपस में प्रेम भाईचारे का भाव रखते हुए हम सबको अपनी-अपनी जिम्मेवारियों का निर्वहन करनी चाहिए।