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‘मेरी आवाज ही मेरी पहचान है…’ जी हां इस गीत को 1970 में गाया था स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर ने जो कि आज भी लोगों के कानों में गूंजती है और लोग सुनते ही मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। आज स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर का निधन मुंबई ब्रीच कैंडी अस्पताल में हो गया। वे पिछले 28 दिनों से इस अस्पताल में भर्ती थी। वह कोविड से संक्रमित थी। उनका जन्म 28 सितम्बर 1929 को इंदौर में एक शास्त्रीय गायक दीनानाथ मंगेशकर के घर में हुआ था। उनका बचपन से ही गायकी का शौक था और उन्हें गायकी की शिक्षा बचपन में उनके पिता से मिली। लता मंगेशकर जब 13 वर्ष की थी तभी उनके पिताजी चल बसे थे और फिर पुरे परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधे पर आ गई थी। पहली बार लता मंगेशकर वसंग जोगलेकर द्वारा निर्देशित एक फिल्म कीर्ती हसाल के लिए गाया था।

उनका करियर बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा था। उन्हें अभिनय पसंद नहीं होते हुए भी अभिनय करना पड़ा था और उन्होंने अपने पिता की असामयिक मृत्यु की वजह से हिंदी और मराठी फिल्मो में काम भी किया था। अभिनेत्री के तौर पर वह पहली फिल्म पाहिली मंगलागौर में 1942 में काम किया था। उसके बाद उन्होंने कई फिल्मो में अभिनय किया था। वह अपने फिल्मो में खुद के लिए कई गाने भी गाये थे। लता मंगेशकर 18 वर्ष की आयु में गायिकी में अपना कदम रखा और 1947 में पहला गाना गाया था। उसके बाद लता मंगेशकर ने कई गाने गाये और ‘दिल मेरा तोडा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा’ गीत से अपनी पहचान बनाई। लेकिन लता मंगेशकर अभी भी बॉलीवुड में स्थिर नहीं हो सकी थी उन्हें अभी और अच्चा मुकाम हासिल करना था। फिर 1949 में लता मंगेशकर को मौका मिला फिल्म ‘महल’ में गाने का और ‘आयेगा आने वाला’ गीत ने उन्हें वह पहचान दिला दी जिसकी तलाश में वह थीं। इसके बाद लता मंगेशकर ने पीछे मुड़ कर नही देखा। वर्ष 1963 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के लाल किला पर जब लता मंगेशकर ने कवी प्रदीप का लिखा हुआ ‘ए मेरे वतन के लोगों…’ गाया था तो उस वक्त तत्कालीन राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन और प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु समेत वहां मौजूद तमाम दर्शकों की ऑंखें नम हो गई थी। लता मंगेशकर को उनकी गायकी के लिए भारत का सबसे बड़ा पुरस्कार ‘भारत रत्न, से 2001 में नवाजा गया। इतना ही नहीं पूरी दुनिया में अपनी गायकी का लोहा मनवाने वाली लता मंगेशकर को छः बार फिल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 और 1994) से, राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 और 1990), महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 और 1967), 1969 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

1974 में लता मंगेशकर का नाम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दुनिया में सबसे अधिक गाने के लिए दर्ज किया गया था। 1989 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 1993 में फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार, 1996 में स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, 1997 में राजीव गान्धी पुरस्कार, 1999 में एनटीआर पुरस्कार, 1999 में पद्म विभूषण, 1999 में ज़ी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, 2000 में आईआईएएफ का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, 2001 में स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, 2001 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न”, 2001 में नूरजहाँ पुरस्कार, 2001 में महाराष्ट्र भूषण सम्मान से पुरस्कृत की गई थी। लता मंगेशकर ने अपने करियर में 20 से अधिक भाषाओँ में 30000 से भी अधिक गीत गए थे।
लता मंगेशकर एकमात्र ऐसी सख्सियत हैं जिनके जिंदा रहते हुए उनके नाम पर पुरस्कार दिए जाते हैं। लता मंगेशकर के निधन से पुरे फिल्म जगत समेत पुरे देश में गम का माहौल है। लता मंगेशकर को फ़िल्मी दुनिया के साथ ही क्रिकेट जगत हो या राजनीति हर लोग उन्हें प्यार करते थे और उन्हें दीदी बुलाया जाता था।