
बिहार ब्रेकिंग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार की सुबह राष्ट्र के नाम संबोधन में देशवासियों को संबोधित करते हुए कृषि कानूनों को वापस लेने की बात कही। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मैं देश को बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों का मकसद था कि देश के किसानों, खासकर छोटे किसानों को ताकत मिले। वर्षों से ये मांग देश के किसान, कृषि विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री, किसान संगठन लगातार कर रहे थे। पीएम ने कहा कि देशभर के किसानों ने कृषि कानूनों का स्वागत किया। हमने कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास कियाम हालांकि किसानों के एक वर्ग को इतनी मेहनत के बाद भी हम यह समझा नहीं पाए।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं देशवासियों से क्षमा मांगते हुए सच्चे मन और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही होगी, जिसके कारण दीये के प्रकाश जैसा सच हम किसान भाइयों को समझा नहीं पाए। मैं आंदोलनरत किसान भाइयों से आग्रह कर रहा हूं कि अपने घर लौंटे, परिवार के बीच लौटें, खेत में लौटें. आइए नई शुरुआत करते हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि 5 दशक के राजनीतिक जीवन में मैंने किसानों की परेशानियों को काफी नजदीक से देखा है। इसलिए 2014 में जब मुझे प्रधानमंत्री के रूप में आपने सेवा का अवसर दिया तो हमने कृषि विकास या किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।
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प्रधानमंत्री ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर एक्सपर्ट कमिटी बनाने का भी ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए, ऐसे सभी विषयों पर, भविष्य को ध्यान में रखते हुए, निर्णय लेने के लिए, एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान होंगे, कृषि वैज्ञानिक होंगे, कृषि अर्थशास्त्री होंगे।