
बिहार विधानसभा चुनाव के जो परिणाम आए हैं और जिसके बूते बिहार की सरकार टिकी है वह बहुत सहज संख्या बल नहीं है. बिहार की एनडीए सरकार में मुकेश सहनी की 4 सीटें और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की 4 सीटें बहुत महत्वपूर्ण है. मुकेश साहनी ने विधानसभा चुनाव से ऐन पहले पलटी मारी और वे एनडीए के साथ हो लिए थे इससे पहले भी वह एनडीए के साथ थे लेकिन महागठबंधन के साथ चले गए थे.

सहनी की आने जाने वाली छवि को लेकर ही शायद बीजेपी उन पर भरोसा नहीं कर पा रही है इसीलिए मुकेश सहनी की पूर्णकालिक एमएलसी सीट वाली डिमांड नहीं मानी गई और उन्हें डेढ़ साल के कार्यकाल वाली सीट थमा दी गई है.2015 विधानसभा चुनाव के बाद मुकेश सहनी ने अपनी पार्टी वीआईपी पार्टी बना ली. पार्टी बनाते ही उनके तेवर बदले. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें एक सीट देने का आश्वासन दिया.
लेकिन वे लालू प्रसाद यादव के कैंप में चले गये. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने आरजेडी-कांग्रेस के महागठबंधन के साथ मिलकर तीन सीटों पर चुनाव लड़ा. तीनों पर उनकी करारी हार हुई. 2020 के विधानसभा चुनाव में भी वे आरजेडी के ही साथ थे लेकिन उनकी डिमांड इतनी बड़ी थी कि तेजस्वी यादव के लिए उसे पूरा कर पाना मुमकिन नहीं था.