
‘राम मंदिर निर्माण का अब विरोध क्यों?’, इस विषय पर परिसंवाद में विविध मान्यवरों का सहभाग। प. पू. स्वामी गोविंददेवगिरीजी महाराज, कोषाध्यक्ष, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास।

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प्राचीन आक्रामक और उनकी वर्तमान संतान राममंदिर को ही नहीं, अपितु हिन्दू संस्कृति को ही पूर्णतः नष्ट करने का एजेंडा रखकर काम कर रही है। इसके लिए अनेक संगठन, दल और व्यक्ति कार्यरत हैं। राममंदिर के निर्माण से हिन्दुओं की शक्ति का जागरण होनेवाला है। इसलिए इन शक्तियों का विरोध बढ रहा है, परंतु धर्मद्वेषी कितना भी विरोध करें, भव्य राममंदिर का निर्माण अवश्य होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष प. पू. स्वामी गोविंददेवगिरीजी महाराज ने ऐसा दृढ प्रतिपादन किया। वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘चर्चा हिन्दू राष्ट्र की’ ‘ऑनलाइन’ परिसंवाद माला में ‘राममंदिर निर्माण का अब विरोध क्यों?’, इस विषय पर हो रहे ‘विशेष संवाद’ में बोल रहे थे। इस परिसंवाद मेें अयोध्या संत समिति के महंत पवन कुमार दास शास्त्रीजी, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ चारुदत्त पिंगळे, ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के प्रवक्ता अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन और हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे भी सम्मिलित हुए थे। हिन्दू जनजागृति समिति के सतीश कोचरेकर और सुमित सागवेकर ने कार्यक्रम का सूत्रसंचालन किया। यह कार्यक्रम फेसबुक और यू-ट्यूब के माध्यम से 68,479 लोगों ने प्रत्यक्ष देखा तथा 2,95,930 लोगों तक यह कार्यक्रम पहुंचा।
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राममंदिर सहित अयोध्या के 360 ध्वस्त मंदिरों का भी पुनरुद्धार किया जाए-महंत पवनकुमार दास शास्त्रीजी
केवल राममंदिर ही नहीं, अपितु अयोध्या में लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न सहित कुल 360 मंदिरों का भी आक्रामकों ने विध्वंस किया है तथा उन पर मस्जिदें और कब्रिस्तान बनाए हैं। इन प्राचीन मंदिरों का इस्लामीकरण करने की घटना न्यायालय में भी प्रस्तुत की है। इसके लिए हम साधु-संत निरंतर संघर्ष कर रहे हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकार राममंदिर सहित अयोध्या के विध्वंस हुए सर्व 360 मंदिरों को भी पुनर्निर्माण करे, ऐसी समस्त हिन्दुओं की अपेक्षा है, अयोध्या संत समिति के महंत पवनकुमार दास शास्त्रीजी ने इस अवसर पर प्रतिपादित किया।
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हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ चारुदत्त पिंगळेजी इस अवसर पर बोले कि, प्रभु श्रीराम का संपूर्ण जीवन ही संघर्षमय है। इसलिए राममंदिर का निर्माण और रामराज्य की स्थापना के लिए हमें भी संघर्ष करना पडेगा। हिन्दुओं का 500 वर्षों का वनवास समाप्त होकर राममंदिर का निर्माण हो रहा है। इससे राष्ट्र की आध्यात्मिक चेतना बढेगी। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के आशीर्वाद से यह कार्य चल रहा है। इसी से आगे रामराज्य अर्थात धर्मकार्य प्रारंभ होगा। सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु जैन बोले, ‘मुंबई में कोरोना के लिए पालनेवाले नियमों को पैरों तले रौंदकर उसके संबंध में याचिका न देते हुए मुंबई के साकेत गोखले ने अयोध्या के राममंदिर के भूमिपूजन के विरुद्ध याचिका क्यों प्रविष्ट की? उनकी याचिका न्यायालय द्वारा खारिज करने के पश्चात उनके घर के पास ‘जय श्रीराम’ के नारे लगे। तब महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने एक घंटे में बडी संख्या में पुलिस सुुरक्षा उपलब्ध करवाई। यह सब देखते हुए स्पष्ट होता है कि इसके पीछे कुछ निश्चित और सक्रिय राजनीतिक दलों का हाथ है। इस समय हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे बोले कि सर्वोच्च न्यायालय ने राममंदिर सहित मस्जिद निर्माण की भी अनुमति दी है, परंतु किसी ने मस्जिद का विरोध नहीं किया। राममंदिर का प्रश्न आते ही, ‘वह बुद्ध भूमि है’, ‘वहां अनेक लोगों की हत्या होने के कारण वह कब्रिस्तान है’ और अब कोरोना का कारण बताकर विरोध किया जा रहा है। कोरोना के रहते शराब की दुकानें खुलीं, उनके विरुद्ध किसी ने याचिका नहीं दी। श्रीजगन्नाथ पुरी की यात्रा पर भी इसी प्रकार आपत्ति उठाई गई थी। भूमिपूजन का हो रहा विरोध जनहित अथवा कोरोना का प्रादुर्भाव रोकने के लिए नहीं, अपितु राममंदिर के लिए है, हिन्दू इसे ध्यान में रखें।