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संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो जाएगा। यह सत्र 13 दिसंबर तक चलेगा। इस सत्र में सरकार नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पारित कराना चाहेगी तो वहीं विपक्ष की कोशिश होगी कि सरकार को कई मुद्दों पर घेरा जाए। विपक्षी दल देश में आर्थिक सुस्ती और कश्मीर में मौजूदा हालात को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं वहीं सरकार कई अन्य नए पुराने बिल पास करवाने की कोशिश में हैं।
क्या है नागरिकता बिल?
मोदी सरकार इस सत्र में 27 बिल को लाने की तैयारी में है। सरकार ने नागरिकता (संशोधन विधेयक) को इस सत्र में पारित कराने के लिए सूचीबद्ध किया है। इसका उद्देश्य है पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को राष्ट्रीयता देना है। मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल में इस विधेयक को पेश किया था लेकिन पारित नहीं हो पाया था।
संशोधन विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित किये जाने के कारण संबंधित देश से पलायन करने वाले हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध एवं पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध हो रहा है, जहां अधिकतर हिंदू प्रवासी रह रहे हैं। सरकार की कोशिश है कि नए 27 बिलों के अलावा लोकसभा में पहले से लंबित 2 बिल और राज्यसभा में पहले से लंबित 10 बिलों को इसी सत्र में पास करवाई जाए। इन बिलों को पास करवाने के लिए सरकार ने कोशिश तेज कर दी है।
सर्वदलीय बैठक में पीएम का बयान
वहीं संसद के शीतकालीन सत्र से पहले रविवार को बुलायी गई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्वासन दिया कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है, जबकि विपक्ष ने लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला की हिरासत के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया और मांग की कि उन्हें सदन में भाग लेने की अनुमति दी जाए। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद का सबसे महत्वपूर्ण काम चर्चा और बहस करना है। 27 दलों के सदस्यों ने बैठक में भाग लिया। सर्वदलीय बैठक के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को भी संसद की कार्रवाई में भाग लेने की इजाजत मिलनी चाहिए।