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पटना में फैले बारिश के पानी ने नगर निगम की बिल्डिंग को भी अपनी चपेट में ले लिया। नगर निगम की बिल्डिंग भी डूब गई। 2019-20 में पटना नगर निगम के लिए 4064 करोड़ रुपये का एलान किया गया। लेकिन हजारों करोड़ रुपये के बजट के बावजूद पूरा शहर नाले में तब्दील हो गया। जून 2017 में इस शहर को स्मार्ट सिटी में शामिल किया गया। पटना की मेयर सीता साहू हैं जबकि डिप्टी मेयर मीरा देवी हैं। इसमें कुल 75 वार्ड हैं। वार्ड में साफ-सफाई और विकास की जिम्मेदारी पार्षदों की होती है। पहले वार्ड पार्षदों को सालाना 80 लाख रुपये खर्च करने के लिए मिलते थे जो अब बढ़कर 2 करोड़ रुपये हो गया है।
पटना नगर निगम 109 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। पटना शहर गंगा का बाढ़ संभावित क्षेत्र है। ये भारत का पांचवा शहर है जो तेजी से बढ़ रहा है। शहर की आबादी 2011 में 16.84 लाख थी जो 2001 से 2011 के बीच 24 फीसदी बढ़ी थी। 2011 की जनगणना के अनुसार पटना में करीब 14000 परिवार स्लम में रहते है। राजधानी में 60 फीसदी इलाके में आवासीय मकान है। इस शहर में रोजाना 1000 मीट्रिक टन कचरा होता है। इसमें से सिर्फ 65 फीसदी ही कचरा उठाया जाता है। लगभग 17 लाख लोगों का कचरा उठाने के लिए 282 गाडियां है। स्वच्छता में पटना की 2019 में रैंकिग देशभर के 425 शहरों में से 318वीं है। जबकि 2016 में इसकी रैंकिग 60 थी, 2017 में 262 और 2018 में 309 थी।