
बिहार डेस्कः आरक्षण पर अक्सर सियासत में उबाल आ जाता है। इस बार बिहार में राजनीतिक तापमान आरक्षण को लेकर खासा गर्म है। सवर्ण आरक्षण को लेकर सत्ताधारी जेडीयू में घमासान है और पार्टी मौजूदा वक्त में दो खेमों में बंटी नजर आ रही है। एक जदयू नेता ने जब सवर्णों को आरक्षण देने की मांग की तो पूर्व मंत्री सह जेडीयू नेता श्याम रजक ने अपनी हीं पार्टी के नेता पर पलटवार किया है। पूर्व मंत्री श्याम रजक ने मांग का विरोध करते हुए कहा कि संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का कोई प्रावधान नहीं है।यह मांग सबसे पहले जदयू के पूर्व विधायक ऋषि मिश्रा की ओर से उठाई गई। वह पूर्व रेल मंत्री स्वर्गीय ललित नारायण मिश्रा के पुत्र हैं। उनकी इस मांग का समर्थन जदयू के प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह ने किया। सिंह ने कहा कि आर्थिक आधार पर सवर्णों को भी आरक्षण मिलना चाहिए। गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की व्यवस्था हो।उन्होंने कहा कि वह अनुसूचित जाति-जनजाति एवं पिछड़ों के आरक्षण के विरोधी नहीं हैं। मगर जदयू नेताओं के इस बयान की पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मंत्री श्याम रजक ने कड़ा विरोध करते हुए कहा कि आरक्षण का आधार स्पष्ट रूप से सामाजिक एवं शैक्षणिक पिछड़ापन है। पूर्व मंत्री श्याम रजक ने मांग का विरोध करते हुए कहा कि संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का कोई प्रावधान नहीं है।यह मांग सबसे पहले जदयू के पूर्व विधायक ऋषि मिश्रा की ओर से उठाई गई। वह पूर्व रेल मंत्री स्वर्गीय ललित नारायण मिश्रा के पुत्र हैं। उनकी इस मांग का समर्थन जदयू के प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह ने किया। सिंह ने कहा कि आर्थिक आधार पर सवर्णों को भी आरक्षण मिलना चाहिए। गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की व्यवस्था हो।उन्होंने कहा कि वह अनुसूचित जाति-जनजाति एवं पिछड़ों के आरक्षण के विरोधी नहीं हैं। मगर जदयू नेताओं के इस बयान की पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मंत्री श्याम रजक ने कड़ा विरोध करते हुए कहा कि आरक्षण का आधार स्पष्ट रूप से सामाजिक एवं शैक्षणिक पिछड़ापन है।
