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जदयू धारा 370, राम मंदिर और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों पर पुराने रुख पर कायम है। लेकिन भाजपा धारा 370 को हटाने की कोशिश करती है, तो पार्टी गठबंधन खत्म नहीं करेगी, बल्कि साथ में रहकर अपना विरोध दर्ज करायेगी। यह कहना है पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी का है। जो जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि धारा 370 पर करार तभी हुआ था, जब राजा हरि सिंह ने भारत सरकार के साथ पैक्ट किया था, इसको नरम करने की कोशिश भाजपा से ज्यादा कांग्रेस की ओर से की गयी है। हम इसके लिए कांग्रेस को ज्यादा कसूरवार मानते हैं, जब कांग्रेस की ओर से इसकी कोशिश की गयी थी, तो लोक नायक जय प्रकाश नारायण ने इसका विरोध किया था। हम उनके वंशज हैं और समाजवादी विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे ही राम मंदिर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कोर्ट के फैसले की बात कही है, ऐसे में गुंजाइश कहां बचती है। जेडीयू महासचिव ने राम मंदिर मुद्दे को लटकाने के लिए कांग्रेस पर आरोप लगाया और कहा कि जब प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के नेतृत्व में सरकार चल रही थी, तो पूरा मसौदा तैयार हो गया था। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पास चंद्रशेखर जी ने पूरे मसौदे को भेजा था, तो उसे लागू करने के लिए तीन-चार दिन रुक जाने की बात राजीव गांधी ने कही थी, लेकिन उसके बाद दो-तीन में चंद्रशेखर की सरकार ही गिर गयी।
केसी त्यागी ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने साफ कहा है कि हम अपने रुख पर कायम हैं। उससे किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए के बीच सब कुछ ठीक नहीं होने का प्रचार किया जा रहा है, इसके पीछे कथित महागठबंधन के नेता है, लेकिन हम पूरी तरह के कहना चाहते हैं कि जेडीयू एनडीए के साथ है और 2020 में बिहार में होनेवाले विधानसभा के चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृ्त्व में चुनाव लड़ेगा। इसमें किसी तरह का कंफ्यूजन नहीं है। इसके साथ ही ये भी तय है कि पार्टी अब केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगी, क्योंकि हमारा दल संख्या के आधार पर ही भागीदारी चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए पार्टी ने सरकार से बाहर रहने का फैसला लिया है। जदयू महासचिव ने कहा कि हम सरकार में शामिल हुये बिना पहले भी एनडीए में रहे हैं। 2017 में जब जेडीयू महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में आयी थी, तो उसके केंद्र में कोई पद नहीं लिया था, जबकि इसके इतर बिहार में संख्या के आधार पर जेडीयू ने सहयोगियों को सरकार में भागीदार बनाया था।लोजपा का कोई विधायक नहीं था, इसलिए उनके प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को एमएलसी बना कर मंत्री बनाया गया था। जदयू इसी तरह से गठबंधन धर्म का पालन करती है। जदयू महासचिव ने कहा कि नागालैंड में भले ही हमारा एक विधायक है, लेकिन उसके सहयोग से वहां पर भाजपा की सरकार चल रही है। जदयू से समर्थन के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फोन किया था, तब हमारे दल ने समर्थन देने के फैसला लिया था, जो अब भी जारी है।